नई दिल्ली: बीते कई सालों से भारत और इटली के रिश्तों में खटास घोल रहे एनरिक लैक्सी विवाद पर विराम लग गया है. अंतरराष्ट्रीय ट्राइब्यूनल ने इस मामले पर दिए फैसले में जहां दोनों इतालवी नौसैनिकों को भारतीय कानून के दायरे से बाहर करार दिया है. वहीं दोनों मरीन की गोली से दो भारतीय मछुआरों की मौत और इस मामले में भारत कि हितों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए इटली को हर्जाना चुकाने के लिए कहा है. ऐसे में अब भारत के सुप्रीम कोर्ट में चल रहे अदालती मामले भी बंद हो जाएंगे.
समुद्री परिवहन की अंतरराष्ट्रीय संधि के आधार पर दिए फैसले में प्राधिकरण ने इटली को UNCLOS अनुच्छेद 80(1)(A) और अनुच्छेद 90 के उल्लंघमन का दोषी भी माना है. साथ ही इस बात को भी स्वीकार किया कि भारतीय मछुआरा नौका सेंट एंटनी नौका के चालक दल को हुई जीवन हानि, शारीरिक नुकसान और संपत्ति की क्षति व नैतिक नुकसान की भरपाई का भारत हकदार है.
इस फैसले के संबंध में विदेश मंत्रालय प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि भारत और इटली ने इस घटना पर समवर्ती क्षेत्राधिकार रखा था. ऐसे में मरीन के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही करने के लिए भारत के पास एक वैध कानूनी आधार था. इस कड़ी में प्राधिकरण ने मरीन को हिरासत में लेने को लेकर इटली की तरफ से की गई मुआवजे की मांग को खारिज कर दिया. हालांकि, यह पाया गया कि राज्य के अधिकारी होने के कारण इतालवी मरीन मासिमिलियानो लेटोर और सल्वाटोर गिरोन को भारतीय अदालत के क्षेत्राधिकार से अपवाद हासिल होता है.
महत्वपूर्ण है कि इस मामले ने भारत और इटली के रिश्तों में काफी खटास घोली थी. यूपीए सरकार के कार्यकाल में हुए इस मामले पर बाद में एनडीए सरकार आने के बाद दोनों देशों के बीच मामले को सुलझाने के कई प्रयास हुए. इसी बीच इटली ने मामले को अंतरराष्ट्रीय दावा प्राधिकरण में मामले को ले जाने का फैसला किया. प्राधिकरण ने भारत को दी जाने वाली मुआवजा राशि के लिए दोनों पक्षों को आपस में बातचीत कर सहमति बनाने को कहा है.