ITBP Assistant Commandant Sudhakar Shinde: जहां 5 दिन पहले आइटीबीपी के असिस्टेंट कमांडेंट सुधाकर शिंदे ने देश का तिरंगा फहराया था, आज उसी जगह नक्सलियों की गोली से शहीद हो गए. 15 अगस्त को जिस जगह पर सुधाकर शिंदे (Sudhakar Shinde) गांव वालों को नक्सलियों से स्वतंत्र होने के उपाय बता रहे थे, आज उसी जगह वो नक्सलियों की गोली से बेसुध पड़े थे. जिस जगह पर गांव के सरपंच के साथ गांव वालों को सुधाकर शिंदे आजादी के मायने समझा रहे थे, आज वहीं से उनके शहीद होने की खबर आई है.
छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में आज नक्सलियों के साथ हुई मुठभेड़ में आईटीबीपी के असिस्टेंट कमांडेंट सुधाकर शिंदे और एएसआई गुरमुख सिंह शहीद हो गए. अब सुधाकर शिंदे की 15 अगस्त की जो तस्वीर सोशल मीडिया में वायरल हो रही है, उसे देखकर हर कोई दुखी है. 15 अगस्त को सुधाकर शिंदे अपनी टीम के साथ गांव वालों के साथ झंडा फहराने निकले थे. उन्होंने सरपंच और गांव वालों के साथ न केवल झंडा फहराया था बल्कि गांव वालों को उनकी जरूरत का सामान भी बांटा था.
कैसे हुआ हमला?
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाके में सुरक्षाबलों के लोग सर्चिंग के लिए निकलते हैं. बस्तर के आईजी पी. सुंदरराज के मुताबिक आईटीबीपी के जवान हर दिन की तरह आज भी सर्चिंग के लिए निकले थे. आईटीबीपी की टीम पर इसी दौरान घात लगाकर बैठे नक्सलियों ने फायरिंग शुरू कर दी. जब तक जवान पोजीशन लेते असिस्टेंट कमांडेंट सुधाकर शिंदे और एएसआई गुरुमुख सिंह को गोली लग गई और वो शहीद हो गए.
कौन हैं सुधाकर शिंदे?
सुधाकर शिंदे आईटीबीपी 45 बटालियन में असिस्टेंट कमांडेंट थे. वो महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले के रहने वाले थे. सुधाकर शिंदे अभी नारायणपुर जिले के कड़ेमेटा कैंप में पोस्टेड थे. सुधाकर 2012 से 2015 तक नक्सल इलाके राजनांदगांव जिले के मोहला मानपुर में काम कर चुके हैं. उनका परिवार रायपुर में ही रहता है. 2019 में सुधाकर शिंदे का उनके काम के आधार पर प्रमोशन हुआ था. जिस कैंप के पास आज सुधाकर शिंदे शहीद हुए हैं, उस कैंप को 3 महीने पहले ही छत्तीसगढ़ पुलिस से आईटीबीपी ने लिया था. पूरा कैंप सुधाकर शिंदे ने ही स्थापित किया था.
बच्चों को पढ़ने का सामान और बुजुर्गों को राशन देकर मनाया था 15 अगस्त
नारायणपुर जिले के जिस जगह पर आज नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में सुधाकर शिंदे शहीद हुए हैं, वहीं 5 दिन पहले उन्होंने अपनी टीम के साथ स्वतंत्रता दिवस के दिन झंडा फहराया था. सुधाकर शिंदे ने न केवल झंडा फहराया था बल्कि गांव वालों को उनकी जरूरत के हिसाब से सामान भी बांटा था. आईटीबीपी के सूत्रों के अनुसार सुधाकर एक ऑफिसर होने के साथ-साथ एक बेहतरीन इंसान थे.
उन्होंने गांव वालों के बीच स्वतंत्रता दिवस तो मनाया ही, साथ ही बच्चों को लिखने पढ़ने के लिए किताब और पेन कॉपी भी बांटी था. वो चाहते थे की नक्सल प्रभावित इलाके के बच्चे भी पढ़-लिखकर उनकी तरह देश की सेवा करें. इसके अलावा उन्होंने गांव वालों को राशन भी बांटा और स्वतंत्रता दिवस का मतलब समझाया. 15 अगस्त की तस्वीरों में देखा जा सकता है कि सुधाकर शिंदे कैसे गांव वालों के साथ स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं. साथ ही गांव के लोगों को राशन और बच्चों को पढ़ने का सामान दे रहे हैं.
शहीद असिस्टेंट कमांडेंट सुधाकर शिंदे और एएसआई गुरुमुख सिंह का पार्थिव शरीर नारायणपुर लाया जा चुका है. यहां बस्तर के आईजी पी. सुंदरराज और जिले के एसपी समेत आईटीबीपी के अफसर और जवान भी इकट्ठा हैं. यहीं शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देने के बाद उन्हें उनके-उनके गृह ग्राम भेजा जाएगा. सुधाकर शिंदे महाराष्ट्र के नांदेड के रहने वाले हैं और गुरमुख सिंह पंजाब के रायकोट के रहने वाले हैं.
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