ग्रेटर नोएडा: एलएसी पर पिछले छह महीने से चल रहे टकराव में चीन का दुनिया की एक बड़ी ताकतवर सेना होने का भ्रम टूट गया है. ये कहना है गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी का. जी किशन रेड्डी आज राजधानी दिल्ली के करीब ग्रेटर नोएडा में आईटीबीपी के स्थापना दिवस के मौके पर जवानों को संबोधित कर रहे थे.


चीन का बिना नाम लिया गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि एलएसी पर पिछले कुछ महीनों में जो कुछ (तनाव) हुआ उससे कुछ देशों की सेनाओं का खुद दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं में होने का भ्रम टूट गया है. रेड्डी ने कहा कि इस भ्रम को तोड़ने में आईटीबीपी और सेना के जवानों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है.


शनिवार यानि 24 अक्टूबर को इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) अपना 59वां स्थापना दिवस मना रही थी. इस मौके पर ग्रेटर नोएडा में आईटीबीपी कैंप में स्थापना दिवस समारोह आयोजित किया गया. गृह राज्यमंत्री समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर बोल रहे थे. रेड्डी ने कहा कि हमें भारतीय संस्कृति और अपने पूर्वजों का आभार प्रकट करना चाहिए कि उन्होनें हमे विश्व-शांति और शास्त्र-विद्या के साथ साथ शस्त्र-पूजा करना भी सिखाया.


आपको बता दें कि आईटीबीपी का गठन चीन के साथ हुए '1962 के युद्ध के दौरान आज ही के दिन (24 अक्टूबर 1962) को हुआ था. आईटीबीपी का मुख्य चार्टर चीन सीमा से सटी 3488 किलोमीटर लंबी एलएसी (लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल) की निगहबानी करना है. आईटीबीपी की सबसे उंची पोस्ट (चौकी) करीब 19 हजार फीट की उंचाई पर है जहां तापमान माइनस (-) 45 डिग्री तक पहुंच जाता है.


चीन से विवाद, संघर्ष या फिर युद्ध की स्थिति में लेकिन आईटीबीपी, थलसेना के साथ मिलकर देश की सरहद की सुरक्षा करती है. यही वजह है कि पिछले छह महीने से यानि जब से पूर्वी लद्दाख में चीन से टकराव शुरू हुआ है तभी से आईटीबीपी के 'हिमवीर' भी सेना के साथ मिलकर ना केवल लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल (एलएसी) की सुरक्षा कर रहे हैं बल्कि चीनी सेना से लोहा ले भी रहे हैं.


आईटीबीपी ने लद्दाख में हालिया तनाव के दौरान गलवान घाटी सहित एलएसी में हुई झड़पों में बहादुरी के लिए 21 जवानों के नाम बहादुरी पदक के लिए सरकार को अनुशंसित किये हैं. साथ ही करीब 300 जवानों को हाल ही में महानिदेशक ने खुद पूर्वी लद्दाख जाकर 'डीजी प्रशस्ति पत्र' और प्रतीक चिन्हों से सम्मानित किया था.


आईटीबीपी देश का अग्रणी अर्धसैनिक बल है. इस बल के जवान अपनी कडी ट्रेनिंग एवं व्यावसायिक दक्षता के लिए जाने जाते हैं तथा किसी भी हालात व चुनौती का मुकाबला करने के लिए हर समय तत्पर रहते हैं. वर्षभर हिमालय की गोद में बर्फ से ढंकी अग्रिम चौकियों पर रहकर देश की सेवा करना इनका मूल कर्तव्य है, इसलिए इनको ‘हिमवीर’ के नाम भी जाना जाता है. कोरोना प्रोटोकॉल के चलते आज ग्रेटर नोएडा के समारोह में कोई परेड या कॉम्बेट-ड्रिल का आयोजन नहीं किया गया.


इस बीच आईटीबीपी ने 59 वें स्थापना दिवस पर ‘हिमाद्रि तुंग श्रृंग से...’ एक गीत को जारी किया. भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवान अर्जुन खेरियल ने इस गीत को गाया है. गीत में आईटीबीपी की देश की सुरक्षा में भूमिका, अन्य ड्यूटी और मुश्किल परिस्थितियों में भी उच्च स्तरीय सेवा भावना को दर्शाया गया है. इस गीत की कुल अवधि 3 मिनट 36 सेकंड्स की है जिसे अर्जुन ने खुद प्रसिद्ध कवि जयशंकर प्रसाद की कविता ‘हिमाद्रि तुंग श्रृंग से’, ‘शिव तांडव स्रोतम’ और आईटीबीपी फ़ोर्स गीत से पंक्तियों से प्रेरित होकर बनाया है.


गीत में आईटीबीपी के तैनाती स्थलों को दर्शाया गया है जिसमें हिमालय से छत्तीसगढ़ तक के इलाके शामिल हैं. इस गीत में आईटीबीपी द्वारा कोविड 19 के प्रसार के विरुद्ध देश में चलाये गए विशेष अभियानों को भी दर्शाया गया है. इसमें देश का पहला क्वारंटाइन केंद्र स्थापित करना, अपने अस्पतालों को कोविड मरीज़ों के लिए खोलना और विश्व के सबसे बड़े कोविड केयर केंद्र और अस्पताल, राधा स्वामी व्यास छतरपुर, नई दिल्ली आदि पहल शामिल हैं.