नई दिल्ली: 24 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू कश्मीर के प्रमुख दलों की बैठक बुलाई है. उससे पहले राज्य में सियासी हलचल तेज हो गई है. पीएम की बैठक से पहले आज गुपकार गठबंधन की अहम बैठक है. बैठक जम्मू कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारुक अब्दुल्ला के घर पर होगी. बैठक में गुपकार गठबंधन में शामिल दल न्योते को लेकर साझा रणनीति पर बात करेंगे. उधर बीजेपी के नेता भी एक्शन में हैं. जम्मू में सुबह साढ़े ग्यारह बजे जम्मू बीजेपी के कोर ग्रुप की बैठक होनी है.
मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में कांग्रेस की बैठक भी आज
वहीं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में कांग्रेस की भी अहम बैठक है.कश्मीर मामलों पर कांग्रेस कमेटी की ये बैठक शाम पांच बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होगी. इसमें गुलाम नबी आजाद, कर्ण सिंह, पी चिदंबरम, तारिक अहमद कर्रा, प्रदेश अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर, प्रभारी रजनी पाटिल शामिल होंगे. कल जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने पार्टी के राज्यसभा में नेता रहे गुलाम नबी आजाद और जम्मू-कश्मीर मामलों के पार्टी प्रभारी रजनी पाटिल के साथ ऑनलाइन बैठक की थी. कांग्रेस के एक प्रवक्ता ने कहा कि इस दौरान पार्टी के स्थानीय नेताओं ने इस मुद्दे पर अपने विचार साझा किए.
राजनीतिक विचार-विमर्श जारी
राज्य में नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) सहित मुख्यधारा के सभी क्षेत्रीय दलों के भीतर सोमवार को लगातार दूसरे दिन गहन राजनीतिक विचार-विमर्श जारी रहा. जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त होने के बाद मुख्यधारा के छह दलों ने पीएजीडी का गठन किया था. पीडीपी ने जहां अपनी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती को बैठक में शामिल होने के बाबत अंतिम निर्णय लेने का अधिकार दिया है. वहीं, गठबंधन बैठक के बाद संयुक्त रणनीति के साथ सामने आ सकता है.
केंद्र सरकार ने पांच अगस्त 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत प्रदेश को मिले विशेष दर्जे के अधिकतर प्रावधानों को वापस लेते हुये जम्मू कश्मीर प्रदेश को दो केंद्र शासित क्षेत्रों - जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख- में बांट दिया था.
370 के हटने से जम्मू-कश्मीर में क्या बदला
- पहले जम्मू और कश्मीर के लोगों को दोहरी नागरिकता मिली हुई थी, अब वो सिर्फ हिंदुस्तान की हो गई है.
- पहले अलग एक कश्मीर का भी झंडा था, जिसको खत्म कर दिया गया है.
- पहले जम्मू-कश्मीर के लिए अलग संविधान भी था, जिसे खत्म कर दिया गया है.
- पहले विधानसभा का कार्यकाल छह साल का था, अब वो पांच साल का है.
- पहले जम्मू और कश्मीर में वित्तीय आपातकाल नहीं लग सकता था, अब लग सकता है.
- पहले राज्यपाल शासन लगता था, अब राष्ट्रपति शासन लागू है.
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