YSRCP On No-Confidence Motion: आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने फैसला किया है कि वो संसद में केंद्र सरकार का समर्थन करेगी और विपक्षी गठबंधन INDIA की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करेगी.
26 राजनीतिक पार्टियों वाले विपक्षी गठबंधन ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सदन के भीतर मणिपुर के मुद्दे पर बोलने की मांग की है. अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस स्वीकार कर लिया गया है लेकिन बहस किस दिन होगी, अभी इस पर फैसला लिया जाना बाकी है.
क्या बोले वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के नेता?
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के संसदीय दल के नेता विजयसाई रेड्डी ने कहा, ''अविश्वास प्रस्ताव लाने से देश को कैसे मदद मिलेगी? मणिपुर और दो विरोधी पड़ोसियों में अशांति के समय केंद्र सरकार को कमजोर करने की कोशिश राष्ट्रहित में नहीं है.''
इसी के साथ वाईएसआरसीपी नेता ने कहा, ''यह मिलकर काम करने का समय है, न कि एक-दूसरे के खिलाफ होने का. वाईएसआर कांग्रेस पार्टी सरकार का समर्थन करेगी और प्रस्ताव के खिलाफ वोट करेगी.''
लोकसभा में 22 और राज्यसभा में पार्टी के हैं इतने सांसद
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के लोकसभा में 22 और राज्यसभा नें नौ सांसद हैं. इसी के साथ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारियों ने कहा कि जब अगले हफ्ते राज्यसभा में दिल्ली अध्यादेश की जगह विधेयक लाया जाएगा तो उनकी पार्टी सरकार के पक्ष में वोट करेगी. माना जा रहा है कि वाईएसआरसीपी का सरकार को समर्थन राज्यसभा में विधेयक के सुचारू रूप से पारित होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
9 वर्षों में दूसरी बार मोदी सरकार अविश्वास प्रस्ताव का करेगी सामना
लोकसभा में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने बुधवार (26 जुलाई) को नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, विगत नौ वर्षों में यह दूसरा अवसर होगा जब यह सरकार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करेगी.
इससे पहले, जुलाई, 2018 में मोदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाया था. इस अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में सिर्फ 126 वोट पड़े थे, जबकि इसके खिलाफ 325 सांसदों ने वोट दिया था. इस बार भी अविश्वास प्रस्ताव का भविष्य पहले से तय है क्योंकि संख्याबल स्पष्ट रूप से बीजेपी के पक्ष में है और निचले सदन में विपक्षी दलों के 150 से कम सदस्य हैं.
विपक्षी दलों की दलील
विपक्षी दलों की दलील है कि वे चर्चा के दौरान मणिपुर मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए धारणा से जुड़ी लड़ाई में सरकार को मात देने में सफल रहेंगे. अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए जरूरी है कि उसे कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन हासिल हो. अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की तिथि तय करने के संदर्भ में 10 दिनों के भीतर फैसला करना होता है. सदन की मंजूरी के बाद इस पर चर्चा और मतदान होता है. अगर सत्तापक्ष इस प्रस्ताव पर हुए मतदान में हार जाता है तो प्रधानमंत्री समेत पूरे मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना होता है.
(इनपुट भाषा से भी)
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