Rath Yatra Live Updates: पुरी में शुरू हुई भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा

सुप्रीम कोर्ट ने रथयात्रा को लेकर कई कड़ी शर्तें लगाई हैं, जिसके चलते आम श्रद्धालु यात्रा में शामिल नहीं हो सकेंगे. ओडिशा सरकार यात्रा में शामिल होने वाले लोगों का पूरा ब्यौरा रखेगी. पल पल की अपडेट के लिए बने रहें एबीपी न्यूज़ के साथ...

एबीपी न्यूज़ Last Updated: 23 Jun 2020 12:37 PM
बलदेव के रथ के पीछे देवी सुभद्रा का रथ चलता है. इस रथ को 'दर्पदलन' या ‘पद्म रथ’ कहा जाता है. इस रथ में काले, नीले और लाल रंग का प्रयोग किया जाता है. यह भी भव्य और विशाल होता है.
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में सबसे आगे चलने वाले बलदेव जी के रथ को 'तालध्वज' कहते हैं. इनके रथ का रंग लाल और हरा होता है.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 18 जून को कहा था कि जन स्वास्थ्य और नागरिकों के हितों की रक्षा के मद्देनजर इस साल 23 जून को ओडिशा के पुरी में निर्धारित यात्रा की इजाजत नहीं दी जा सकती. 'अगर हमने इसकी अनुमति दी तो भगवान जगन्नाथ हमें कभी माफ नहीं करेंगे.'
कोलकाता में इस्कॉन के उपाध्यक्ष और प्रवक्ता राधारमण दास ने कहा, कोरोना की वजह से हम इस्कॉन कोलकाता मंदिर के प्रांगण में ही यथ यात्रा आयोजित किए हैं. हमने तीन छोटे-छोटे प्रतिकृति (Replica) रथ के बनाएं हैं और भगवान को हम उसी रथ में बैठाकर रथ यात्रा संपूर्ण कर रहे हैं.
भगवान जगन्नाथ के रथ को 'नंदीघोष' या 'गरुड़ध्वज' कहा जाता है. ये पीतांबर वर्ण और लाल रंग का होता है. ये बेहद विशाल और भव्य होता है. इस रथ की ऊंचाई करीब 45.6 फीट होती है.
ओडिशा के कानून मंत्री प्रताप जेना ने कहा, सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है कि जो भी लोग इस रथ यात्रा में शामिल होंगे सबका कोविड-19 टेस्ट होना चाहिए. सभी सेवायत का कोरोना वायरस टेस्ट हुआ है, एक सेवायत पॉजिटिव आया है, उसे रथयात्रा में शामिल होने नहीं दिया गया है.
रथ निर्माण के लिए लड़की का चयन बसंत पंचमी के दिन से ही प्रारंभ हो जाता है. रथ के प्रयोग में लाई जाने वाली लकड़ी को ‘दारु’ कहा जाता है. विशेष बात ये है कि रथ के लिए लकड़ी चयन की जिम्मेदारी जगन्नाथ मंदिर की एक खास समिति की होती है. रथ निर्माण में समय सीमा का विशेष ध्यान रखा जाता है. रथ निर्माण में किसी प्रकार की धातु का प्रयोग नहीं किया जाता है. मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.
जगन्नाथ रथ यात्रा की तैयारी अक्षय तृतीया की पवित्र तिथि से ही आरंभ हो जाती हैं. पंचांग के अनुसार रथ निर्माण का आरंभ अक्षय तृतीया की तिथि से होता है.
भगवान जगन्नाथ का मंदिर उड़ीसा के पुरी में स्थित है. इस पवित्र मंदिर को भारत के चार पवित्र धामों में से एक माना जाता है. यह मंदिर अति प्राचीन है. मान्यता है कि यह पवित्र मंदिर 800 वर्ष से भी अधिक पुराना है. इस मंदिर में विष्णु अवतार भगवान श्रीकृष्ण स्वयं जगन्नाथ रूप में विराजमान हैं. इस मंदिर में भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम और उनकी बहन देवी सुभद्रा की पूजा-अर्चना की जाती है. रथ यात्रा में इन तीनों के ही अलग अलग रथ सजाए जाते हैं. इस रथ यात्रा में सबसे आगे बलदेव यानि बलरामजी का रथ चलता है. इसके बाद देवी सुभद्रा और सबसे अंत में भगवान श्रीकृष्ण यानि जगन्नाथ का रथ चलता है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक आखिरी बार 284 साल पहले 1733 से 1735 के बीच रथ यात्रा नहीं हो सकी थी, क्योंकि उस वक्त तकी खान ने पवित्र मंदिर पर हमला किया था और मूर्तियों को किसी और स्थान पर रखना पड़ा था.
प्रभु जगन्नाथ की इस रथ यात्रा का भक्तों को साल भर इंतजार रहता है. 10 दिन तक चलने वाले आयोजन में देशभर से लाखों लोग जुटते हैं और रथ यात्रा में शामिल होते हैं. इसमें प्रभु जगन्नाथ के 45 फुट लंबे रथ को खींचा जाता है.
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने रथ यात्रा को अनुमति दे दी. कोर्ट ने कहा कि केंद्र, राज्य सरकार और मंदिर कमिटी समन्वय के साथ काम करेंगे. स्वास्थ्य निर्देशों का पूरा पालन किया जाएगा. इससे पहले कोर्ट ने यात्रा पर रोक लगा दी थी लेकिन रथ यात्रा पर रोक लगाने वाले आदेश में बदलाव की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने यात्रा को सोमवार को शर्तों के साथ मंजूरी दे दी.
तीनों देवताओं को तीन पारंपरिक तौर पर बने लकड़ी के रथ- नंदीघोसा (जगन्नाथ के लिए), तलाध्वजा (बलभद्र के लिए) और देवदलन (सुभद्रा के लिए) पर बिठा कर ले जाया गया. रथों को पुरी के गुंडिचा मंदिर तक खींचा जाएगा, जो मुख्य जगन्नाथ मंदिर से लगभग 3 किलोमीटर दूरी पर स्थित है. इस साल 500 से अधिक लोगों को रथ खींचने की अनुमति नहीं दी जाएगी. उन्हें कोविड-19 टेस्ट कराने के बाद नेगेटिव रिपोर्ट आने के बाद ही अनुमति दी जाएगी. इनमें मंदिर के सेवक और पुलिसकर्मी शामिल होंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के अवसर पर लोगों को बधाई दी और कामना की यह यात्रा लोगों के जीवन में खुशियां एवं समृद्धि लेकर आए. प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, ''भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के पावन अवसर पर मेरी हार्दिक शुभकामनाएं.'' उन्होंने कामना की कि यह अवसर लोगों के जीवन में खुशियां, समृद्धि, सौभाग्य एवं आरोग्य लेकर आए. उन्होंने लिखा, ''जय जगन्नाथ.''

बैकग्राउंड

नई दिल्ली: ओडिशा के पुरी में भक्तों की अनुपस्थिति में पहली बार भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों की वार्षिक रथ यात्रा शुरू हो गई है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा जनता की उपस्थिति के बिना सीमित तरीके से इसे आयोजित करने के निर्देश के बाद वार्षिक उत्सव की शुरुआत की गई. पुजारियों ने भोर में 'मंगल आरती' का आयोजन किया. शंखनाद की ध्वनि, झांझ और ढोलक की थाप के साथ मंदिरों से देवताओं को रथ पर बिठाकर यात्रा की शुरुआत की गई.


 


तीनों देवताओं को तीन पारंपरिक तौर पर बने लकड़ी के रथ- नंदीघोसा (जगन्नाथ के लिए), तलाध्वजा (बलभद्र के लिए) और देवदलन (सुभद्रा के लिए) पर बिठा कर ले जाया गया. रथों को पुरी के गुंडिचा मंदिर तक खींचा जाएगा, जो मुख्य जगन्नाथ मंदिर से लगभग 3 किलोमीटर दूरी पर स्थित है. इस साल 500 से अधिक लोगों को रथ खींचने की अनुमति नहीं दी जाएगी. उन्हें कोविड-19 टेस्ट कराने के बाद नेगेटिव रिपोर्ट आने के बाद ही अनुमति दी जाएगी. इनमें मंदिर के सेवक और पुलिसकर्मी शामिल होंगे.


 


पुरी के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर बलवंत सिंह ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार रथ यात्रा के सुचारू संचालन के लिए सभी सहयोग कर रहे हैं. मैं सभी भक्तों से अनुरोध करता हूं कि वे घर पर रहें और त्योहार का सीधा प्रसारण देखें."

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