जय जगन्नाथ के जयकारों और झांझ-मंजीरों की ध्वनि के बीच, भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ की बहुड़ा यात्रा या वापसी उत्सव सोमवार (15 जुलाई, 2024) को पुरी में शुरू हुआ. लाखों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में एक औपचारिक धाडी पहांडी (शोभायात्रा) के माध्यम से भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ को चक्रराज सुदर्शन के साथ श्री गुंडिचा मंदिर से उनके रथों तक लाया गया. इसके साथ ही भगवान की 12वीं शताब्दी के श्रीमंदिर की ओर वापसी यात्रा या बहुड़ा यात्रा की शुरुआत हुई.


सात जुलाई को रथ यात्रा के दिन देवताओं को मुख्य मंदिर से लगभग तीन किलोमीटर दूर श्री गुंडिचा मंदिर ले जाया गया था. भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ सात दिनों तक गुंडिचा मंदिर में रहे, जिसे उनका जन्मस्थान माना जाता है. हालांकि, श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (SJTA) ने पहले पहांडी का समय दोपहर 12 बजे से अपराह्न ढाई बजे के बीच तय किया था, लेकिन भगवान की शोभायात्रा निर्धारित समय से पहले पूर्वाह्न 10 बजकर 45 मिनट पर शुरू हुई.


परंपरा के अनुसार, पुरी के राजा गजपति महाराज दिव्य सिंह देव द्वारा तीनों रथों के आगे छेरा पहरा (रथों के आगे झाड़ू लगाना) अनुष्ठान किया जाएगा. एसजेटीए के अधिकारियों ने बताया कि रथ खींचने की परंपरा शाम चार बजे से शुरू होगी. ओडिशा पुलिस ने बहुड़ा यात्रा के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखने और भीड़ के प्रबंधन के लिए 180 पलटन और 1,000 अधिकारी तैनात किए हैं. एक पलटन में 30 जवान होते हैं.


अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) संजय कुमार ने बताया कि बहुड़ा यात्रा के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं, पूरा शहर सीसीटीवी की निगरानी में है. इस महोत्सव में लगभग पांच लाख लोगों के पहुंचने का अनुमान है.


एक अधिकारी ने बताया कि सोमवार रात को भगवान 12वीं सदी के मंदिर के सिंह द्वार के सामने रथों पर विराजमान रहेंगे और 17 जुलाई को रथों पर सुनाभेषा (स्वर्ण पोशाक) की रस्म निभाई जाएगी. अधिकारी ने बताया कि भगवान के सुनाभेष देखने के लिए करीब 10 लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है.


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