जगन्नाथ मंदिर प्रबंध समिति (SJTM) ने अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (ISKCON) से कहा है कि रथ यात्रा शास्त्रों में दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया से दशमी तिथि के बीच आयोजित की जानी चाहिए.
पुरी स्थित 12वीं शताब्दी के श्री जगन्नाथ मंदिर की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था एसजेटीएम ने इस बात पर जोर दिया कि जून के अंत या जुलाई में आयोजित की जाने वाली वार्षिक रथ यात्रा के लिए निर्धारित तिथियों में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए.
पुरी के गजपति महाराज के साथ एसजेटीएम के अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालने वाले दिव्य सिंह देब ने सोमवार को पुरी के रॉयल पैलेस में एक बैठक के दौरान इस्कॉन को यह जानकारी दी.' बैठक में श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (SJTA) के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी, इस्कॉन के शासी निकाय आयोग (JBC) के प्रमुख गुरु प्रसाद स्वामी महाराज, ओडिशा इस्कॉन के निदेशक प्रेमानंद दास महाराज और भुवनेश्वर के क्षेत्रीय निदेशक बनमाली चंद्र दास सहित कई प्रमुख हस्तियां शामिल हुईं.
बैठक के बाद पाधी ने पत्रकारों से कहा, 'इस्कॉन को समय से इतर रथ यात्रा आयोजित नहीं करने की सलाह दी गई है, ये परंपरा के खिलाफ है.' एसजेटीए ने एक प्रेस विज्ञप्ति में इस बात की फिर से पुष्टि की है कि रथ यात्रा की तिथियां पवित्र ग्रंथों और परंपराओं के अनुसार तय हैं. एसजेटीए और इस्कॉन दोनों के विशेषज्ञों के जल्द ही इस मामले पर आगे चर्चा करने के लिए मिलने की उम्मीद है. इस्कॉन के अधिकारी फरवरी 2025 में होने वाली जीबीसी बैठक में इस मुद्दे को उठाने की योजना बना रहे हैं.
पाधी ने कहा, जीबीसी की आगामी बैठक में इस्कॉन इस मामले पर अपने विचार प्रस्तुत करेगा तथा अपने सुझाव रखेगा. हमने स्पष्ट कर दिया है कि श्रीमंदिर की परंपरा को धूमिल करने वाला कुछ भी नहीं किया जाना चाहिए. रथ यात्रा किसी अन्य तिथि पर आयोजित नहीं की जानी चाहिए और हमने इस बात का इस्कॉन से भी अनुरोध किया है.
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