राज्यसभा में बुधवार (3 जुलाई, 2024) को सभापति जगदीप धनखड़ ने विपक्ष से कहा कि मैं दुखी हूं कि संविधान का इतना मजाक और अपमान हो रहा है. यह किताब हाथ में रखने के लिए नहीं जीने के लिए है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब दे रहे थे. उनके भाषण के बीच में ही कांग्रेस सहित पूरा विपक्ष सदन से बहिर्गमन कर गया.
विपक्ष के बहिर्गमन को अत्यंत दर्दनाक और पीड़ादायक करार देते हुए सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि उन्होंने यह अनुरोध किया था कि नेता प्रतिपक्ष को चर्चा के दौरान बिना रोक-टोक, बोलने का सुअवसर दिया जाए. उन्होंने कहा कि भारत के संविधान के लिए इससे बड़ी अपमानित बात नहीं हो सकती. उन्होंने कहा कि यह उच्च सदन है और इसको देश का मार्गदर्शन करना होता है. जगदीप धनखड़ ने कहा कि वह विपक्षी सदस्यों के इस आचरण की भर्त्सना करते हैं. उन्होंने कहा कि विपक्ष के इस व्यवहार से देश के 140 करोड़ लोग आहत होंगे. उन्होंने कहा कि सदन में कल देर रात तक चर्चा चली और विपक्ष ने जब अपनी बात पूरी कह ली हो तो उसे सत्ता पक्ष की बात सुननी चाहिए.
सभापति ने कहा, 'उन्होंने भारतीय संविधान को चुनौती दी है, उसकी भावना को आहत किया है. मैं इस कुर्सी पर बैठकर बहुत दुखी हूं कि संविधान का इतना मजाक, इतना अपमान... . भारत का संविधान हाथ में रखने की किताब नहीं है बल्कि जीने की किताब है.' उन्होंने विपक्ष को सलाह दी कि वह आत्मचिंतन करें, अपने दिल को टटोलें और अपने कर्तव्यों का पालन करें. प्रधानमंत्री मोदी जब चर्चा का जवाब दे रहे थे तो पहले विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने सभापति जगदीप धनखड़ से कुछ कहने की अनुमति मांगी. आसन की ओर से यह अनुमति नहीं दिए जाने पर विपक्षी सदस्य नारेबाजी करने लगे.
उनकी नारेबाजी के बीच भी जब प्रधानमंत्री ने अपना भाषण जारी रखा तब मल्लिकार्जुन खरगे सहित कांग्रेस एवं विपक्ष के सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गए. विपक्षी सदस्य जब उच्च सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर जा रहे थे तब प्रधानमंत्री ने कहा, 'देश देख रहा है कि झूठ फैलाने वालों की सत्य सुनने की ताकत भी नहीं होती. ...जिनके हौसले नहीं हैं ...उन्होंने जो सवाल उठाये उसके जवाब सुनने की हिम्मत नहीं है.'
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि विपक्ष उच्च सदन को अपमानित कर रहा है. उन्होंने कहा, 'देश की जनता ने हर प्रकार से उन्हें इतना पराजित कर दिया है कि अब उनके पास गली-मोहल्ले में चीखने के सिवाय कुछ बचा नहीं है. नारेबाजी, हंगामा और भाग जाना... यही उनके नसीब में लिखा है. उन्होंने कहा, 'आज वे (विपक्ष) सदन को छोड़कर नहीं गए हैं, मर्यादा छोड़कर गए हैं. आज उन्होंने मुझे पीठ नहीं दिखाई है, भारतीय संविधान को पीठ दिखाई है. उन्होंने आज मेरा और आपका अनादर नहीं किया है बल्कि उस शपथ का अनादर किया है जो संविधान के तहत ली गई है.'
(पीटीआई-भाषा से इनपुट)
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