Jagdeep Dhankhar on No Confidence Motion: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार (24 दिसंबर, 2024) अपने खिलाफ लाए गए नोटिस पर पहली बार टिप्पणी की. उपराष्ट्रपति ने चंद्रशेखर आजाद के एक बयान का हवाला देते हुए कहा सब्जी काटने वाले चाकू से बाईपास सर्जरी कभी नहीं करें. वह बोले, “मेरे खिलाफ लाया गया नोटिस तो सब्जी काटने वाला चाकू भी नहीं था, उसमें तो जंग लगा हुआ था.” उपराष्ट्रपति ने चेतावनी देते हुए कहा कि देश विरोधी ताकतों की ओर से संवैधानिक संस्थानों को ईंट-दर-ईंट कमजोर करने के प्रयास किया जा रहा है.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि संवैधानिक पदों की गरिमा को प्रतिष्ठा, उच्च आदर्श और संवैधानिकता से बनाए रखना बेहद आवश्यक है. लोकतंत्र की सफलता के लिए अभिव्यक्ति और संवाद अपरिहार्य हैं. वह बोले, “उपराष्ट्रपति के खिलाफ दिए गए नोटिस को देखिए. उसमें दिए गए छह लिंक को देखिए.
चंद्रशेखर आजाद के बयान का हवाला दिया
उपराष्ट्रपति ने कहा, "आप हैरान हो जाएंगे. चंद्रशेखर जी ने एक बार कहा था कि सब्जी काटने वाले चाकू से बाईपास सर्जरी कभी नहीं करें. यह नोटिस तो सब्जी काटने वाला चाकू भी नहीं था, वह तो जंग लगा हुआ था. इसमें जल्दबाजी की गई. जब मैंने इसे पढ़ा तो मैं स्तब्ध रह गया, लेकिन मुझे और अधिक आश्चर्य तब हुआ, जब मैंने ये पाया कि आपने इसे नहीं पढ़ा. अगर आप इसे पढ़ते तो कई दिनों तक सो नहीं पाते.”
‘पीयूष गोयल ने सदन में उठाया मुद्दा’
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने यह बात महिला पत्रकार वेलफेयर ट्रस्ट के एक कार्यक्रम के दौरान कहीं. धनखड़ ने कहा, “मैं यह साफ करना चाहता हूं कि यह नोटिस क्यों दिया गया. किसी भी संवैधानिक पद को प्रतिष्ठा, उच्च आदर्शों और संवैधानिकता से पुष्ट किया जाना चाहिए. हम यहां हिसाब बराबर करने के लिए नहीं हैं." राज्यसभा के अध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने कहा, "जब विपक्ष के नेता राहुल गांधी का मामला उठा तब सदन के नेता पीयूष गोयल ने यह मुद्दा उठाया, मैंने इसे तय किया. आप खुद इसे पढ़िए, अगर इसमें कुछ गलत है, तो मुझे मार्गदर्शन मिलने में खुशी होगी. उन्होंने इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई, लेकिन वे यह पचा नहीं पाए कि अध्यक्ष ने ऐसा फैसला कैसे किया?"
जगदीप धनखड़ ने दी कौन सी चेतावनी?
इसी दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचाने के प्रयासों के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा, “अक्सर मैंने खुद देखा है कि यह प्रयास एक योजनाबद्ध तरीके से उन ताकतों द्वारा किए जाते हैं, जो इस देश के हितों के प्रति शत्रुतापूर्ण हैं. उनका उद्देश्य हमारे संवैधानिक संस्थानों को ईंट-दर-ईंट कमजोर करना, राष्ट्रपति पद को कलंकित करना है… और सोचिए, राष्ट्रपति कौन हैं? इस देश की पहली आदिवासी महिला जो राष्ट्रपति बनीं.”
संसदीय बहसों का जिक्र करते हुए धनखड़ ने कहा, “क्या आपने पिछले 10, 20, 30 वर्षों में किसी महान बहस को देखा है? क्या संसद के पटल पर कोई बड़ी उपलब्धि देखी है?"
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