जहांगीरपुरी हिंसा पर बोले महमूद मदनी, हथियारों के प्रदर्शन और भड़काऊ नारों पर कही ये बात
जमीयत की ओर से जारी एक बयान में राज्यसभा के पूर्व सदस्य ने कहा कि उन लोगों और समूहों के धरपकड़ की जरूरत है जो भड़काऊ नारे लगाते हैं और गैर कानूनी तरीके से हथियारों का प्रदर्शन करते हैं.
दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुई सांप्रदायिक हिंसा पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए जमीयत उलेमा-ए-हिंद (महमूद मदनी समूह) के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने भड़काऊ नारे लगाने और हथियारों का प्रदर्शन करने वालों की गिरफ्तार की मंगलवार को मांग की.
मौलाना मदनी ने जहांगीरपुरी में हुई हिंसा को कानून-व्यवस्था की विफलता करार दिया और पूरी घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की. उन्होंने कहा कि जांच एजेंसियां को ईमानदारी से अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करना चाहिए और पूरे मामले की तह तक पहुंचने का प्रयास करना चाहिए.
भड़काऊ नारे लगाने वालों के धरपकड़ की है जरूरत
जमीयत की ओर से जारी एक बयान में राज्यसभा के पूर्व सदस्य ने कहा कि उन लोगों और समूहों के धरपकड़ की जरूरत है जो भड़काऊ नारे लगाते हैं और गैर कानूनी तरीके से हथियारों का प्रदर्शन करते हैं. उन्होंने दावा किया कि शनिवार को जहांगीरपुरी में सुबह से ही इस तरह की गतिविधियां होने के बावजूद पुलिस प्रशासन ने लापरवाही बरती और धार्मिक जुलूस में शामिल अराजक तत्वों पर काबू पाने में नाकाम रही जो निंदनीय है.
बयान के मुताबिक मौलाना मदनी के निर्देश पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को हिंसा प्रभावित जहांगीरपुरी का दौरा किया और प्रभावित मस्जिद के इमाम और सी ब्लॉक में रहने वाले जिम्मेदार लोगों से मुलाकात कर स्थिति को समझने की कोशिश की.
आपत्तिजनक नारे लगाने की वजह से दोनों पक्षों में हुआ पथराव
जमीयत ने बयान में स्थानीय लोगों से बातचीत के आधार पर दावा किया है कि जब शाम में करीब छह बजे तीसरी बार धार्मिक जुलूस हुसैन चौक होते हुए यहां पहुंचा तो इसमें शामिल असमाजिक तत्वों ने मुसलमानों के खिलाफ कथित रूप से आपत्तिनजक नारे लगाए जिसके बाद दोनों ओर से पथराव हुआ.
बयान में आरोप लगाया गया है कि जुलूस में शामिल लोगों के पास हथियार थे. इस दौरान जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रतिनिधिमंडल ने उन परिवारों से भी मुलाकात की जिनको पुलिस ने इस मामले में गिरफ्तार किया है. जहांगीरपुरी इलाके में शनिवार को हनुमान जयंती शोभायात्रा के दौरान दो समुदायों के बीच संघर्ष हो गया था जिसमें आठ पुलिस कर्मी और एक स्थानीय व्यक्ति जख्मी हो गया था.