Jahangirpuri हिंसा मामले में एक ही परिवार के 5 लोगों को पुलिस ने किया गिरफ्तार, नाबालिग भी हिरासत में
Jahangirpuri Clash: दिल्ली पुलिस ने 16 अप्रैल को जहांगीरपुरी इलाके में भड़की हिंसा मामले में एक ही परिवार के 5 लोगों को गिरफ्तार किया है. जबकि एक नाबालिग को हिरासत में लिया है.
दिल्ली पुलिस ने 16 अप्रैल को जहांगीरपुरी इलाके में भड़की हिंसा मामले में एक ही परिवार के 5 लोगों को गिरफ्तार किया है. जबकि एक नाबालिग को हिरासत में लिया है. अब तक इस मामले में 24 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें से 3 नाबालिग भी हैं. जहांगीरपुरी हिंसा में 9 लोग घायल हो गए थे, जिसमें 8 पुलिसकर्मी और एक नागरिक शामिल है. दिल्ली पुलिस ने हिंसा को लेकर 'दोनों समुदायों' के लोगों को गिरफ्तार किया है.
जो गिरफ्तार हुए हैं, उनमें से पुलिस ने 'एक खास समुदाय' के एक ही परिवार के सारे पुरुषों को गिरफ्तार कर लिया है. आरोपियों की पहचान सुकेन सरकार, उनके भाई सुरेश सरकार, दोनों बेटों नीरज और सूरज और सुकीन रिश्तेदार सुजीत के तौर पर हुई है. पुलिस ने सुकेन के नाबालिग बेटे को भी हिरासत में ले लिया है.
गिरफ्तारी के बाद सुकेन की पत्नी दुर्गा शंकर ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि मेरे पति, रिश्तेदार, तीनों बेटों और भाई को गिरफ्तार कर लिया गया है. वे सारे निर्दोष हैं. वे सभी जुलूस में रथ पर थे और उन पर पत्थर फेंके गए. मेरे पति पर भी ईंट फेंकी गई थी. मेरे भाई के सिर में चोटें आई हैं लेकिन इन सबके बावजूद उन्होंने हनुमान जी की प्रतिमा को बचाया.
दुर्गा शंकर ने कहा, मेरे पति घर आए और बताया कि दूसरे समुदाय के लोगों ने पहले उनके साथ बहसबाजी की और पत्थर फेंकना शुरू किया.
उन्होंने कहा, "अपनी जान बचाने के लिए मेरे पति वहां से भाग गए. वह छोटी सी नौकरी करते हैं और मेरा बेटा 12वीं में पढ़ता है. उसके बोर्ड के एग्जाम्स हैं. अगर उसे छोड़ा नहीं गया तो उसकी जिंदगी खराब हो जाएगी.''
दुर्गा शंकर ने आगे बड़ी साजिश का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, सिर्फ मेरे ही परिवार वालों को क्यों गिरफ्तार किया गया. और लोग भी तो वहां थे. यह साजिश है. मैं चाहती हूं कि मेरे परिवारवालों को छोड़ा जाए.
गिरफ्तार किए गए सुजीत की पत्नी मीनू ने कहा, मेरे पति को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. वह शोभा यात्रा में रथ को खींच रहे थे. उन्होंने बताया कि 5-6 लोग मस्जिद से आए और उन्हें लाउडस्पीकर बंद करने और जय श्री राम का नारा लगाने से मना किया.
मीनू ने कहा, ''जब जुलूस में शामिल लोगों ने ऐसा करने से मना कर लिया तो दूसरे समुदाय के लोग तलवारें लेकर आ गए और जुलूस पर हमला कर दिया. किसी तरह मेरे पति ने भागकर जान बचाई.''
मीनू के मुताबिक, उनके पति पत्थरबाजी में शामिल नहीं थे. उन्होंने कहा, 'अगर उन्होंने किया होगा तो आत्मरक्षा में. अगर कोई मुझे मारने आएगा तो क्या मैं खुद को नहीं बचाऊंगी.'
उन्होंने कहा, मेरे पति उन सभी लोगों को जानते हैं, जिन्होंने असल में दंगा भड़काया था. लेकिन इसके बावजूद दूसरे समुदाय के लोग हीरो बन गए और हमारे विलेन. हम हिंदुस्तान में रहते हैं और जय श्री राम बोलना हमारा हक है.
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