बकरीद पर जैन समुदाय के कुछ लोगों ने 124 बकरे खरीदे हैं. उनका कहना है कि पशुओं की सुरक्षा के लिए उन्होंने देशभर में यह मुहिम चलाई है. उन्होंने कहा कि जैन धर्म अहिंसा परमोधर्म और जीयो और जीने दो की शिक्षा देता है. इस विचार को ध्यान में रखकर ही उन्होंने बकरीद पर बकरों को कटने से बचाने के लिए यह मुहिम छेड़ी.


ये लोग मुस्लिम बनकर बकरा मार्केट गए और बकरे खरीदकर दिल्ली के जैन धरमपुरा मंदिर ले आए. चिराग जैन ने बताया कि इन लोगों ने करीब 15 लाख रुपये इकट्ठा किए और अब तक 12 लाख रुपये के बकरे खरीदे जा चुके हैं. उन्होंने बताया कि अब इन बकरों को उत्तर प्रदेश के बागपत में एक बकराशाला में रखा जाएगा और जीवनभर ये वहीं रहेंगे. चिराग जैन ने बताया कि यह बकरा शाला भी जैन लोग ही चलाते हैं और यह रजिस्टर्ड है. शाला का नाम जीव दया संस्था है. यहीं पर इन बकरों के खाने-पीने और इलाज जैसी सभी जरूरतों का ध्यान रखा जाएगा.


ग्रुप के एक और सदस्य अमन जैन ने कहा कि उन्होंने 15 तारीख की रात को जाकर पहले सर्वे किया कि बकरे किस रेट पर बिकते हैं. 16 तारीख को वह अलग-अलग ग्रुप में अलग-अलग जगह गए. जैसे मटिया महल, जामा मस्जिद, मीना बाजार और फिर वहां से बकरे खरीदे. अमन जैन ने कहा, 'मुझे बताते हुए शर्म आ रही है कि जैसे कपड़े बिकते हैं बाजार में, वैसे ही ये पशु वहां बेचे जा रहे थे और इनकी जान बचाना हमारा कर्तव्य है. पहले दिन हमने 120 बकरे खरीदे और एवरेज कीमत एक बकरे की 10 से 11 हजार थी.'


चिराग जैन ने कहा कि हम चार पांच लोगों ने बकरीद से पहले डिसाइड किया कि हम थोड़े-थोड़े पैसे कॉन्ट्रीब्यूट करके यह मुहिम चलाएंगे. पहले 5-6 बकरे खरदीने का फैसला हुआ था. उन्होंने कहा, 'वॉटसऐप पर हमने जैन ग्रुप्स और ब्रॉडकास्ट लिस्ट में मैसेज सर्कुलेट किए और फिर कई दूसरे लोग भी हमारे साथ जुड़ गए. इस तरह हमारे पास 15 लाख रुपये के करीब इकट्ठा हो गए, जिनमें से 12 लाख बकरों को खरीदने में खर्च हो चुके हैं. हम बागपत बकरा शाला में लाइफ टाइम के लिए बकरों को भेज देंगे. इसे भी जैन लोग चलाते हैं और यह रजिस्टर्ड बकरा शाला है, जिसका नाम जीव दया संस्था है.'


ग्रुप के सदस्य विवेक जैन ने कहा कि जैन धर्म कहता है, जीयो और जीने दो. भागवान महावीर का मुख्य विचार है कि अहिंसा ही परम धर्म है. उसी चीज को हमारे पूर्वजों के द्वारा जो संस्कार दिए गए हैं, उसके बेस पर ही हम यह काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हर जीव की एक बेसिक जरूरत है कि हमारे पास जितने भी जीव हैं, वो हमसे सुरक्षित महसूस करें. जैसे हम अपने आस-पास पीसफुल वातावरण चाहते हैं. ऐसे ही ये भी चाहते हैं. एक ह्यूमेनिटी है कि हमारे पास जो भी पशु-पक्षी हैं वो हमसे सुरक्षित महसूस करें. महावीर के इस संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए ही हमने यह छोटा प्रयास किया है.


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