(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में पहुंचे तल्मीज अहमद, 'वेस्ट एशिया एट वॉर' नाम की अपनी किताब को लेकर की खुलकर बात
तल्मीज अहमद ने यूएई और सऊदी, ओमान जैसे देशों में भारतीय राजदूत के रूप में सेवाएं दी हैं. हाल ही में उन्होंने एक किताब लिखी है, जिस पर उन्होंने एबीपी से खुलकर बात की.
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल धूम मचा रहा है. साहित्य की दुनिया के इस उत्सव में देश और दुनिया के जाने-मानें लेखक शिरकत कर रहे हैं. इन्हीं में से एक राइटर हैं तल्मीज अहमद, जो जयपुर लिटरेचर फेस्ट में पहुंचे. वो जाने माने डिप्लोमेट रहे हैं और उन्होंने यूएई और सऊदी, ओमान जैसे देशों में भारतीय राजदूत के रूप में सेवाएं दी हैं. हाल ही में उन्होंने एक किताब लिखी है, जिस पर उन्होंने एबीपी से खुलकर बात की.
'वेस्ट एशिया एट वॉर' नाम की 550 पेजों की अपनी किताब पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि इस पूरे इलाके की राजनीति में बाहरी देश भी शामिल रहे हैं. इसमें अमेरिका भी है. इस किताब में 100 सालों की पूरी पॉलिटिक्स का जिक्र किया गया है. कैसे इस इलाके में पावर गेम चलता रहा है. इसमें इलाके की पॉलिटिक्स, जंग, हमलों सभी का जिक्र है. यूक्रेन और रूस की जंग और भारत के रवैये पर उन्होंने कहा कि रूस हमारा पुराना सहयोगी देश रहा है. ऐसे में भारत किसी एक देश का सीधा सपोर्ट नहीं कर सकता है.
इसके साथ ही मार्क डेविड बेयर से भी जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में एबीपी न्यूज ने एक्सक्लूसिव बातचीत की. डेविड ने 'द ऑटोमन्स' नाम की एक किताब लिखी है. डेविड ने किताब से जुड़ी अहम बातों पर हमसे बात की. मार्क ने कहा कि तुर्क साम्राज्य विश्व इतिहास में सबसे शक्तिशाली और सबसे लंबे समय तक चलने वाले राजवंशों में से एक था. वह यूरोप की सभ्यता से मिलता जुलता है. मैंने किताब के जरिए ईस्ट और वेस्ट को एक साथ लाने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि जितने भी इतिहासकारों ने ऑटोमन्स पर जो लिखा वो ब्लैक एन्ड व्हाइट डिपिक्शन के जैसा था, जहां या तो उनकी आलोचना की गई या फिर उनकी तारीफ.
उन्होंने कहा कि पश्चिमी इतिहासकारों ने ऑटोमन्स को लेकर लिखी गई किताबों में तर्कसंगत तरीके से न्याय नहीं किया. तुर्की इतिहासकारों ने भी इसी तरह से ही लिखा. उन्होंने कहा कि विश्व के कई नेता आज के दौर में सांस्कृतिक जंग को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं. वो अपने देशों का नजरिया ही गलत दिखाने की कोशिश कर रहे हैं. इसमें इतिहास को भी गलत तरीके से पेश किया जा रहा है. ऐसे में इतिहास का एक सकारात्मक नजरिया सामने आना चाहिए. कई सारी फिल्में और सीरीज इतिहास को लेकर बनाई जा रही हैं, अगर वो सही तर्कसंगत इतिहास पर बनाई जाएं तो वे समाज पर अच्छा असर डाल सकती हैं.
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