बेरोजगारी बेइंतेहा बढ़ रही है और पढ़े लिखे युवा परेशान हैं कि उन्हें नौकरी नहीं मिल रही. राजस्थान में भी बढ़ती बेरोजगारी का एक चौकाने वाला मामला सामने आया है, जब करीब 2400 पदों की सरकारी नौकरी की भर्ती खुली तो दो-चार या पांच-दस लाख नहीं बल्कि करीब 22 लाख बेरोजगारों ने नौकरी के लिए परीक्षा का फॉर्म भर दिया. ये नौकरी वन विभाग के लिए है.


राजस्थान के मंत्रालयिक एवं अधीनस्थ कर्मचारी चयन बोर्ड के जरिये अलग अलग सरकारी महकमों में होने वाली भर्ती की परीक्षा आयोजित की जाती है. वन विभाग में फोरेस्टर और रेंजर यानी वन पाल और वन रक्षक के पदों के लिए कुल 2399 रिक्तियां निकाली गई. आवेदन की अंतिम दिन के बाद ये तथ्य सामने आया कि कुल करीब बाईस लाख आवेदन मिले हैं, यानी एक पद के लिए लगभग 917 युवाओं ने आवेदन किया.


वन विभाग की ये भर्ती परीक्षा राजस्थान की अब तक की सबसे बड़ी परीक्षा होगी. इससे पहले साल 2021 की पुलिस कांस्टेबल परीक्षा के लिए करीब पांच हज़ार पदों के लिए लगभग साढ़े अट्ठारह लाख आवेदन मिले थे. अभी वन विभाग की इस भर्ती परीक्षा के आवेदनों की जांच चल रही है, लेकिन इस परीक्षा के लिए बहुत ज़्यादा पढ़े लिखे बेरोजगारों ने भी आवेदन दिया है जबकि इस परीक्षा के लिए शैक्षणिक योग्यता दसवीं और बारहवीं पास होना रखी गई है. करौली के गोविन्द प्रजापत और सांगानेर के जीतेन्द्र शर्मा ने भी इस परीक्षा का फॉर्म भरा है, जबकि दोनों बी एड डिग्री धारक हैं.
 
गोविन्द प्रजापति किसान के बेटे हैं और राजस्थान के करौली जिले के रहने वाले हैं. पिछले दो तीन साल से जयपुर में किराए का कमरा लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे हैं लेकिन अब तक सफलता नहीं मिली. हर महीने घर से पांच छह हज़ार रुपये मंगवा रहे हैं ताकि कमरे का किराया, कोचिंग की फीस और किताबों-फॉर्म की फीस भर सके. बनना तो टीचर चाहते हैं लेकिन अब वनपाल या वन रक्षक भी बनने से गुरेज नहीं.


वन विभाग की भर्ती खुली तो फॉर्म भरने वाले लाखों युवाओं ने तैयारी के लिए किताब और सन्दर्भ सामग्री की खरीद भी शुरू कर दी. बाज़ार में इन दिनों इस भर्ती की किताबों की जबरदस्त मांग है. एक साथ करीब 22 लाख आवेदन मिलने से खुद कर्मचारी चयन बोर्ड भी हैरान है. अब बोर्ड के लिए इस साल अक्टूबर में इस परीक्षा का सफलता पूर्वक आयोजन करवाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है.


इस वन विभाग परीक्षा के लिए अलग अलग वर्ग के लिए ढाई सौ, साढ़े तीन सौ और साढ़े चार सौ रुपये की फीस तय की गई है. ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि राज्य सरकार के खजाने में फीस के ज़रिए करीब 66 करोड़ रुपये आए हैं.  


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