Jairam Ramesh On Air Pollution In Delhi: दिल्ली में लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण की वजह से स्कूलों को बंद कर देना पड़ा है. इस बीच कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने शुक्रवार (3 नवंबर) को इस बात पर अफसोस जताया कि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) प्रदूषण रोकथाम के लिए मौजूदा प्रावधानों को लागू करने में 'कमजोर' साबित हो रहा है. उन्होंने कहा है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण एनजीटी की कमजोरी का सबूत है.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट में जयराम रमेश ने लिखा है, “जनवरी 2014 में, वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर एक विशेषज्ञ समिति की स्थापना की गई जिसने 2015 में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. तब से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के अधिकार छीने जाने के साथ-साथ कानून और मानक दोनों में ही हमारी प्रवर्तन मशीनरी में कमजोरियां स्पष्ट रूप से सामने आई हैं."
वायु प्रदूषण अधिनियम और NAAQS में सुधार की जरूरत
अपने पोस्ट के साथ, कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख ने 18 नवंबर, 2009 की एक प्रेस विज्ञप्ति शेयर की है. उस समय कांग्रेस की सरकार केंद्र में थी. उन्होंने कहा है, "नवंबर 2009 में, IIT कानपुर और अन्य संस्थानों द्वारा गहन समीक्षा के बाद एक अधिक कठोर और व्यापक राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानक (NAAQS) लागू किया गया. इसमें सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक माने जाने वाले 12 प्रदूषकों को शामिल किया गया. NAAQS के कार्यान्वयन के समय जो प्रेस नोट आया था, उससे उस वक्त हुए महत्वपूर्ण बदलाव की सोच का पता चलता है.."
राज्यसभा सांसद ने इस बात पर जोर दिया है कि वायु प्रदूषण अधिनियम 1981 और NAAQS दोनों को 'संपूर्ण सुधार' से गुजरना होगा. उन्होंने कहा, "पिछले एक दशक या कहें कि उससे भी अधिक समय में, स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों को लेकर ठोस प्रमाण मिले हैं."
उन्होंने लिखा, “राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम बिना किसी खास सकारात्मक प्रभाव के तेजी से आगे बढ़ रहा है. वायु प्रदूषण ज्यादातर नवंबर में सुर्खियों में आता है जब देश की राजधानी में सांस लेने में भी दिक्कत होने लगती है. देश के अन्य हिस्सों में वायु प्रदूषण नियमित समस्या है."
प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए कठोर कदम उठाने की जरूरत
आपको बता दें कि एक दिन पहले गुरुवार (दो नवंबर) को भी कांग्रेस नेता ने अपने सिलसिलेवार सोशल मीडिया पोस्ट में प्रदूषण रोकथाम के लिए कठोर कदम उठाने की नसीहत दी थी. उन्होंने कहा था, "मोदी सरकार ने पिछले अध्ययनों को बदनाम करने की बहुत कोशिश की है, जो स्पष्ट रूप से भारत में बढ़ते बीमारी के बोझ को वायु प्रदूषण से जोड़ते हैं, लेकिन वह दो अध्ययनों और वायु प्रदूषण संकट को नजरअंदाज नहीं कर सकती. कार्य करने का समय काफी बीत चुका है. भावी पीढ़ियों के लिए, हमें अब कठोर उपायों की आवश्यकता है.”
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