मोहन भागवत के बयान पर भड़के जयराम रमेश, बोले- 'RSS के इशारे पर ही हो रहा मंदिर-मस्जिद'
Jairam Ramesh On Mohan Bhagwat: जयराम रमेश ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयानों पर निशाना साधते हुए कहा कि भागवत सोचते हैं कि RSS के पाप धुल जाएंगे, लेकिन देश हकीकत जान रहा है.
Jairam Ramesh On Mohan Bhagwat: आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) प्रमुख मोहन भागवत के 'मंदिर-मस्जिद' विवाद नहीं उठाने के बयान पर सियासत जारी है. इस बीच कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आरएसएस प्रमुख पर जमकर हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि भागवत का बयान सिर्फ़ समाज को गुमराह करने के लिए है, RSS की कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर है. वे जो बोलते हैं, उसका उल्टा करते हैं.
जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा "मोहन भागवत का बयान RSS की ख़तरनाक कार्यप्रणाली को दर्शाता है - उनकी कथनी और करनी में ज़मीन आसमान का अंतर है. RSS का काम करने का तरीक़ा आज़ादी के वक्त जितना ख़तरनाक था, आज उससे भी ज़्यादा है. वे जो बोलते हैं, उसका उल्टा करते हैं. यदि मोहन भागवत को लगता है कि मंदिर-मस्जिद का मुद्दा उठाकर नेतागिरी करना ग़लत है तो उन्हें बताना चाहिए कि ऐसे नेताओं को उनका संघ संरक्षण क्यों देता है?"
'संघ के इशारे पर ही हो रहा मंदिर-मस्जिद'
जयराम रमेश ने आगे लिखा " क्या RSS-BJP में मोहन भागवत की बात नहीं मानी जाती?, अगर वह सच में अपने बयान को लेकर ईमानदार हैं तो सार्वजनिक रूप से घोषित करें कि भविष्य में संघ कभी भी ऐसे नेताओं को सपोर्ट नहीं करेगा, जिनके कारण समाजिक भाईचारे को ख़तरा पहुंचता है., लेकिन ये ऐसा नहीं कहेंगे क्योंकि मंदिर-मस्जिद संघ के इशारे पर ही हो रहा है".
'RSS से निकलता है दंगा करवाने वालों का कनेक्शन'
उन्होंने कहा "कई मामलों में ऐसे विभाजनकारी मुद्दे को भड़का कर दंगा करवाने वालों का कनेक्शन RSS से निकलता है. ये बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद या भाजपा से जुड़े होते हैं और संघ वकील दिलाने से लेकर मुकदमे तक में इनकी पूरी मदद करता है. स्पष्ट है - भागवत का बयान सिर्फ़ समाज को गुमराह करने के लिए है। उन्हें लगता है कि ऐसी बातों से RSS के पाप धुल जाएंगे और उनकी छवि अच्छी हो जाएगी। लेकिन उनकी वास्तविकता देश के सामने है."
क्या बोले थे मोहन भागवत?
मोहन भागवत ने हाल ही में 'सहजीवन व्याख्यानमाला' में 'भारत-विश्वगुरु' विषय पर बोलते हुए समावेशी समाज की आवश्यकता और हालिया सामाजिक मुद्दों पर अपने विचार रखेते हुए कहा कि भारत को दुनिया को यह दिखाने की जरूरत है कि यहां विभिन्न धर्मों के लोग शांति और सामंजस्य के साथ रह सकते हैं.उन्होंने भारत के विविधता में एकता के मॉडल को वैश्विक प्रेरणा के रूप में प्रस्तुत करने की बात कही. उन्होंने राम मंदिर को सभी हिंदुओं की आस्था का प्रतीक बताया. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि मंदिर निर्माण के बाद अब नए विवाद उठाकर समाज में तनाव फैलाने की कोशिशें स्वीकार्य नहीं हैं. भागवत ने हाल के मंदिरों के सर्वेक्षण और मस्जिदों से जुड़े विवादों को लेकर कहा कि समाज में विवाद फैलाने का सिलसिला अब बंद होना चाहिए. उन्होंने किसी का नाम लिए बिना कहा कि ऐसे मुद्दे समाज में अस्थिरता पैदा करते हैं.