'श्री 420 नहीं तो श्री जी20 ही सही', नए क्रिमिनल कानूनों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिलने पर जयराम रमेश ने कसा तंज
jairam Ramesh: कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने तीन संशोधित आपराधिक बिलों को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद कहा है कि धारा 420 को अब भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 316 से जाना जाएगा.
jairam Ramesh On Criminal Law Bills: संसद के शीतकालीन सत्र में दोनों सदनों से पास किए गए तीन संशोधित आपराधिक विधेयकों को सोमवार (25 दिसंबर) को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिल गई. इसको लेकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने तंज करते हुए कहा कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की सबसे मशहूर धारा 420 अब इतिहास बन गई है.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कांग्रेस नेता ने कहा, "भारत के 146 सांसदों के जानबूझकर निलंबन किए जाने के बाद पिछले हफ्ते संसद में पारित किए गए तीन आपराधिक न्याय विधेयकों को अब राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है. कई प्रतिष्ठित वकील और ज्यूरिस्ट समाज के सबसे वंचित वर्गों के लिए इसके विनाशकारी परिणामों की ओर पहले ही इशारा कर चुके हैं."
'इतिहास बन गई धारा 420'
उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा कि भारतीय दंड संहिता की सबसे ज्यादा मशहूर धारा 420 अब इतिहास बन गई है. इसने 1955 में राज कपूर-नरगिस की हिट फिल्म श्री 420 को भी प्रेरित किया था. इस फिल्म में कई सुपरहिट गाने थे. अब यह भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 316 होगी. उन्होंने बिना नाम लिए पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, "कोई बात नहीं, श्री 420 नहीं तो श्री जी20 ही सही!"
The three Criminal Justice Bills bulldozed through Parliament last week, aided by the deliberate suspension of 146 INDIA MPs, have now received Presidential assent. Many eminent lawyers and jurists have already pointed out its disastrous consequences, especially for the most…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) December 25, 2023
IPC की जगह लेगा BNS
गौरतलब है कि राष्ट्रपति मूर्मू की मंजूरी मिलते ही भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य बिल के अब कानून की शक्ल ले लेंगे और भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता ले लेगा. वहीं, दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) को भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) संहिता से बदला जाएगा.
मानसून सत्र में पेश किए गए थे बिल
बता दें कि गृह मंत्री अमित शाह ने तीनों बिलों को मानसून सत्र के दौरान पेश किया था, लेकिन बाद में उन्हें एक स्थायी समिति को भेज दिया गया था. इसके बाद इसमें पैनल की कुछ सिफारिशों को शामिल करके फिर से पेश किया गया था.
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