Jaishankar In Pakistan: भारत के विदेश मंत्री डॉ एस.जयशंकर ने इस्लामाबाद में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में स्पीच के दौरान क्षेत्रीय चुनौतियों पर चर्चा की. उन्होंने चीन और पाकिस्तान का बिना नाम लिए कहा कि अगर क्षेत्र में विश्वास की कमी है या सहयोग अपर्याप्त है और अगर  पड़ोसी से संबंध बिगड़े हैं तो इन मुद्दों पर आत्मनिरीक्षण करने और उनका समाधान खोजने की जरूरत है.


एस.जयशंकर ने जोर देते हुए कहा कि एससीओ के चार्टर के प्रति ईमानदारी से प्रतिबद्धता दिखाने पर ही हम उस सहयोग और एकीकरण के लाभों को पूरी तरह से समझ सकते हैं, जिसकी इस संगठन ने कल्पना की है. उनका बयान स्पष्ट रूप से क्षेत्रीय सहयोग और आपसी विश्वास को सुधारने की अपील के रूप में देखा जा सकता है. खासकर तब जब भारत के चीन-पाकिस्तान के साथ संबंध तनावपूर्ण बने हैं.


जयशंकर ने‘तीन बुराइयों’पर दिया जोर


शिखर सम्मेलन में सभी प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए जयशंकर ने तीन बुराइयों को गिनाते हुए कहा "अगर सीमा पार की गतिविधियां आतंकवाद, उग्रवाद से जुड़े हैं तो उनके साथ व्यापार,ऊर्जा कनेक्टिविटी, संपर्क और आपसी लेनदेन को बढ़ावा मिलने की संभावना नहीं है. सहयोग आपसी सम्मान और संप्रभु समानता पर आधारित होना चाहिए.  इसे क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को मान्यता देनी चाहिए साथ ही वास्तविक साझेदारी पर आधारित होना चाहिए, न कि एकतरफा एजेंडे पर."


चार्टर का भी सख्ती से हो पालन- एस जयशंकर


बैठक में विदेश मंत्री जयशंकर ने एससीओ के हर सदस्य देश को समूह के चार्टर का सख्ती से पालन करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि हमारे प्रयास तभी आगे बढ़ेंगे जब चार्टर के प्रति हमारी प्रतिबद्धता दृढ़ रहेगी.


भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में बहुत तनाव आ गया है क्योंकि भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बातचीत केवल "आतंकवाद से मुक्त" माहौल में ही हो सकती है और अब यह पाकिस्तान के पाले में है कि वह आतंकवाद के अभिशाप को खत्म करे. जहां तक ​​चीन का सवाल है, पिछले कुछ साल में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल(LAC) पर बीजिंग की कई एकतरफा कार्रवाइयों के बाद संबंध में खटास आई है. 


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