चेन्नई: तमिलनाडु में जल्लीकट्टू के लिए आंदोलन और तेज हो गया है. चेन्नई के मरीना बीच पर प्रदर्शन कर रहे लोगों की तादाद 50 हजार से ज्यादा हो चुकी है. जल्लीकट्टू के समर्थन में कई संगठनों ने आज तमिलनाडु में बंद बुलाया है.


जल्लीकट्टू, किसी के लिए सांडों को काबू में करने का खेल तो किसी के लिए चार सौ साल पुरानी परंपरा. जानवरों के हितों की रक्षा करने वाली संस्थाओं की नजर में जल्लीकट्टू सांडों पर अत्याचार का जरिया भी है.


चेन्नई में छात्रों का बड़ा विरोध प्रदर्शन


लेकिन परंपरा के नाम पर जल्लीकट्टू का समर्थन करने वाले लोग अब आंदोलन के मूड में आ गए हैं. जल्लीकट्टू के समर्थन में कई दिनों से चेन्नई के मशहूर मरीना बीच पर छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं. कल रात छात्रों ने एक साथ मोबाइल टॉर्च जलाकर जल्लीकट्टू के समर्थन में प्रदर्शन किया.



सिर्फ चेन्नई या तमिलनाडु नहीं बल्कि जल्लीकट्टू के समर्थन में कर्नाटक से लेकर दिल्ली और अब श्रीलंका, ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया में भी प्रदर्शन हो रहे हैं. आम आदमी के साथ साथ अब खास लोग भी जल्लीकट्टू के समर्थन में उतर आए हैं.


ए आर रहमान जल्लीकट्टू के समर्थन में उतरे


ऑस्कर अवॉर्ड विजेता संगीतकार ए आर रहमान आज उपवास पर हैं तो कमल हासन और रजनीकांत भी जल्लीकट्टू के समर्थन में उतर गए हैं. आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर भी जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध के खिलाफ हैं.


तमिलनाडु के सीएम पन्नीरसेल्वम पीएम से मिले


जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध के खिलाफ तमिलनाडु के सीएम पनीरसेल्वम कल पीएम से मिलने पहुंचे थे, लेकिन उन्हें कोई कामयाबी नहीं मिली. पीएम की तरफ से संदेश दिया गया की सुप्रीम कोर्ट के आदेश की वजह से उनके हाथ बंधे हैं.


सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में जल्लीकट्टू पर बैन लगाया


जल्लीकट्टू के समर्थन में प्रदर्शन हो रहे हैं. जल्लीकट्टू को पशुओं के खिलाफ क्रूरता मानते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में इस पर प्रतिबंध लगा दिया था. तमिलनाडु सरकार के कहने पर पिछले साल मोदी सरकार ने अध्यादेश जारी कर इस पारंपरिक खेल को इजाजत दे दी थी, लेकिन सरकार के इस अध्यादेश को फिर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई और उसपर अभी सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना बाकी है.


मार्कंडेय काटजू ने दी पन्नीरसेल्वम को सलाह


इन सब के बीच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने सीएम पनीरसेल्वम को सलाह दी है. उन्होंने फेसबुक पर लिखा है, ‘’जल्लीकट्टू एक खेल है. इसलिए तमिलनाडु सरकार खुद एक अध्यादेश जारी कर इस शर्त के साथ जल्लीकट्टू को वैध बना सकती है कि जानवरों के साथ क्रूरता नहीं होगी. इसलिए सीएम को केंद्र सरकार की चिंता नहीं करनी चाहिए. कानून हमेशा बनाए या बदले जा सकते हैं, मुद्दा चाहे विचाराधीन ही क्यों ना हो. कानून को लेकर बहस के बीच सवाल बना हुआ है कि क्या परंपरा के नाम पर जान की ये बाजी लगाना सही है.


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