Maratha Protest: क्या है मराठा आरक्षण का पूरा मामला, जिसकी आंच में झुलस रहा महाराष्ट्र, जानें सबकुछ
Jalna Maratha Protest: मराठा आरक्षण आंदोलन के दौरान शुक्रवार को जालना में हिंसा भड़क उठी थी. शनिवार को राज्य में जगह-जगह प्रदर्शनकारियों के समर्थन में प्रदर्शन हुए.
Maratha Reservation: महाराष्ट्र के जालना जिले में मराठा आरक्षण आंदोलन शुक्रवार (1 सितंबर) को हिंसक हो गया, जिसमें 42 पुलिसकर्मियों सहित कई लोग घायल हो गए. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने दो बसों को आग के हवाले कर दिया और कई गाड़ियों में तोड़फोड़ की. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने लोगों से शांति की अपील की है.
आंदोलन में हिंसा तब भड़की जब मनोज जरांगे के नेतृत्व में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया. आइए जानते हैं कि इस हिंसा की वजह बने मराठा आरक्षण आंदोलन की पूरी कहानी क्या है और क्यों ये बढ़ता जा रहा है.
क्यों शुरू हुआ मराठा आरक्षण आंदोलन?
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन की आग को हवा मिली 2021 में, जब सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दिया. दरअसल, महाराष्ट्र में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग लंबे समय से चली आ रही थी, जिसके चलते 30 नवम्बर 2018 को महाराष्ट्र सरकार ने राज्य विधानसभा में मराठा आरक्षण बिल पास किया था. इसके तहत राज्य की सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थाओं में मराठाओं को 16 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया गया.
इस बिल के खिलाफ मेडिकल छात्र बॉम्बे हाई कोर्ट चले गए. हाई कोर्ट ने आरक्षण को रद्द तो नहीं किया, लेकिन 17 जून 2019 को अपने एक फैसले में इसे घटाकर शिक्षण संस्थानों में 12 फीसदी और सरकारी नौकरियों में 13 प्रतिशत कर दिया. हाई कोर्ट ने कहा था कि अपवाद के तौर पर 50 फीसदी आरक्षण की सीमा पार की जा सकती है.
सुप्रीम कोर्ट ने किया रद्द
बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई. याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि मराठा आरक्षण लागू होने से 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा पार होती है, जो इंदिरा साहनी केस और मंडल कमीशन मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है.
5 मई 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने मराठा समुदाय के लिए सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया. शीर्ष अदालत ने कहा कि इसे लागू करने से 50 फीसदी की सीमा का उल्लंघन होता है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 50 फीसदी सीमा पर पुनर्विचार करने की जरूरत नहीं है.
क्या है पेंच?
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मराठा आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन शुरू हो गया. इसके पहले की उद्धव सरकार और वर्तमान एकनाथ शिंदे सरकार, दोनों मराठा आरक्षण का समर्थन करते हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उनके हाथ बंधे हैं. महाराष्ट्र में पहले से ही 52 फीसदी आरक्षण चला आ रहा है.
महाराष्ट्र में आरक्षण की वर्तमान स्थिति
- अनुसूचित जाति – 15 फीसदी
- अनुसूचित जनजाति – 7.5 फीसदी
- अन्य पिछड़ा वर्ग – 27 फीसदी
- अन्य – 2.5 फीसदी
- कुल- 52 फीसदी
कौन हैं मराठा?
- महाराष्ट्र में जातियों का एक समूह है, जिसमें किसान, जमींदार और अन्य वर्ग शामिल
- महाराष्ट्र में मराठा समुदाय प्रदेश की आबादी में 30 फीसदी से ज्यादा
- ऐतिहासिक रूप से मराठाओं की पहचान एक योद्धा के रूप में होती रही है
- प्रदेश की राजनीति पर भी मराठाओं का बड़ा प्रभाव
- महाराष्ट्र राज्य के ज्यादातर मुख्यमंत्री मराठा रहे
- 2018 में महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण के लिए बड़ा आंदोलन हुआ था
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