'बाबरी मस्जिद का फैसला इंसाफ के तहत नहीं', प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के खिलाफ याचिका पर भड़का जमात-ए-इस्लामी
Jamaat-e-Islami Hind: संभल हिंसा को लेकर जमात-ए-इस्लामी हिंद ने निशाना साधा है. उन्होंने कहा है कि हिंसा की जांच होनी चाहिए.

Jamaat-e-Islami Hind: जमात-ए-इस्लामी हिंद ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट और संभल हिंसा को लेकर प्रेस कांफ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान में कौमी एकता की सबसे ज्यादा जरूरत है. अदालतों के फैसले की वजह से अब कौमी एकता पर असर पड़ रहा है.
इसके अलावा संभल हिंसा पर उन्होंने कहा कि छोटी अदालत बड़ी अदालतों के खिलाफ काम कर रही हैं. उन्होंने पुलिस पर भी सवाल खड़े किए और जांच की मांग उठाई.
'हर हाल में लागू हो प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट'
जमात-ए-इस्लामी हिंद ने कहा, "हिंदुस्तान में कौमी एकता बुनियादी जरूरत है. देश की संसद ने एक कानून प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट बनाया था. इसके बाद 1992 में बाबरी का मसला आ गया था. इस एक्ट में बाबरी को अपवाद बनाया था. बाबरी मस्जिद का फैसला भी इंसाफ के तहत नहीं दिया गया था. इस दौरान कोर्ट ने कहा था कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट को हर सूरत में लागू किया जाए. अदालतों के गलत फैसले कि वजह से अब देशभर में कौमी एकता पर सवाल खड़े हो रहे हैं. इन फैसलों से मुस्लिम कौम को दिक्कत हो रही है."
उन्होंने आगे कहा, "अदालत, हुकूमत और आवाम इस बात को समझे कि जिस एक्ट को संसद ने बनाया है, उसे कोर्ट ना बदले. देश की सरकार और संसद को भी ये देखना चाहिए. अदालतों के इस फैसलों की वजह से ध्रुवीकरण हो रहा है.
बड़ी अदालतों के खिलाफ काम कर रही हैं छोटी अदालतें
संभल हिंसा पर उन्होंने कहा, "छोटी अदालत बड़ी अदालतों के खिलाफ काम कर रही हैं. लेकिन पहला सर्वे सुकून के साथ हो गया था, लेकिन फिर भी दूसरा सर्वे कराया गया. दूसरे सर्वे के खत्म होने के बाद मुस्लिम कौम को सताने के लिए उस ग्रुप में नारे लगाए, जिससे माहौल बिगड़ गया. पुलिस का काम इसे कंट्रोल करना था, लेकिन उन्होंने फायरिंग की. पुलिस ने गैर सरकारी हथियार का भी इस्तेमाल किया या नहीं, इसकी भी जांच होनी चाहिए.
उन्होंने आगे कहा कि पुलिस इस हिंसा को रोकने में नाकाम रही. वहां पर विपक्ष के नेताओं को जाने से रोका जा रहा है. प्रशासन क्या छुपाना चाह रहा है. मुस्लिमों को गिरफ्तार भी किया जा रहा है. देश को गलत और अंधेरे में ले जाया जा रहा है.
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