बांग्लादेश में पैर पसारते आतंकवादी और विद्रोही संगठन, भारत को इससे क्या खतरा है
हाल ही चटगांव पहाड़ियों में जमातुल अंसार फिल हिंडाल शरकिया कुक्की-चिन नेशनल आर्मीफिर से एक्टिव हो गया है. इसके बाद सैकड़ों शरणार्थियों को भारत के मिजोरम में आने पर मजबूर होना पड़ा.
कई साल तक शांत रहने के बाद जमातुल अंसार फिल हिंडाल शरकिया यानी जेएएफएचएस एक बार फिर से बांग्लादेश में एक्टिव हो रहा है. जेएएफएचएस चटगांव हिल क्षेत्र (सीएचटी) पर अपने पैर पसारने की कोशिश में लगा हुआ है. इन पहाड़ी इलाकों पर आतंकवादी समूह का एक्टिव हो जाना भारत के लिए भी एक चुनौती है. हाल ही में चटगांव हिल क्षेत्र के आस-पास के गांव खमतांगपारा में विद्रोही संगठन कुक्की-चिन नेशनल आर्मी (केएनए) और यूनाइटेड पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट से अलग हुए एक समूह के बीच हुई झड़प में आठ लोगों की मौत हो गयी.
भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों से चटगांव हिल क्षेत्र की बहुत निकटता है. यही वजह है कि चटगांव बंदरगाह एक महत्वपूर्ण रणनीतिक इलाका है. हाल ही में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भारत को चटगांव और सिलहट में देश के बंदरगाहों का इस्तेमाल करने की पेशकश की थी. शेख हसीना ने कहा था कि इससे संपर्क को बढ़ावा मिलेगा और क्षेत्र में लोगों के बीच संपर्क बढ़ेगा.
आतंकवादियों का घर बना चटगांव बंदरगाह
बांग्लादेश के दक्षिण-पूर्व से होकर गुजरने वाला सीएचटी लगभग एक दर्जन जातीय अल्पसंख्यक समूहों का घर है. यहां पर ज्यादातर बौद्ध और चेरितियन समुदाय के लोग रहते हैं. इस क्षेत्र में जन संहति समिति (जेएसएस) के नेतृत्व में 20 साल लंबा सशस्त्र अलगाववादी आंदोलन चला. परिणामस्वरूप 1997 में शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. पुलिस का दावा है कि इलाके में कम से कम छह आतंकवादी संगठन अब भी एक्टिव है.
बांग्लादेश की मीडिया की मानें तो कई सालों बाद दोबारा से चटगांव बंदरगाह पर एक्टिव हुई जमात-उल-अंसार के अल कायदा से संबंध होने का संदेह है. उसके कैडर आतंकी संगठन जेएमबी से आए हैं.
रिपोर्टों के मुताबिक हाल ही में इस संगठन से गिरफ्तार हुए सदस्यों में से एक ने पूछताछ के दौरान बताया था कि उसे 2016 से जेल में बंद अल कायदा विचारक जशीमुद्दीन रहमानी का वीडियो दिखाया गया. ये संगठन अपने राजनीतिक और धार्मिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए अलग-अलग रास्तों पर काम कर रहे हैं. अगर वे सब एक मंच पर एक साथ आ जाते हैं तो वे शेख हसीना की सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती पेश कर सकते हैं. बांग्लादेश में अगले साल चुनाव होने हैं.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) जिसकी स्थापना 1998 में अफगान युद्ध के दिग्गजों ने की, हरकत-उल-जिहाद-अल इस्लामी बांग्लादेश (एचयूजीआई-बी) की स्थापना 1992 में पाकिस्तान में हुई और अंसार अल-इस्लाम (एएआई) के संबंध इस्लामिक स्टेट के साथ हैं.
भारत के लिए क्यों है मुसीबत
मिजोरम बांग्लादेश के साथ 318 किमी लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है. ताजा रिपोर्ट के मुताबिक चटगांव हिल क्षेत्र से विस्थापित 550 से ज्यादा लोग हाल ही में मिजोरम आए हैं. पहले से विस्थापित हुए इन प्रवासियों के कई रिश्तेदार भारत के अलग-अलग राज्यों में भी फैल रहे हैं.
हाल ही में ये यंग मिजो एसोसिएशन (वाईएमए) नाम के एक प्रमुख स्वैच्छिक संगठन ने शरणार्थियों को भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुओं के अलावा वित्तीय सहायता की पेशकश की है. ये सभी ने शरणार्थी भारत-बांग्लादेश-म्यांमार तिराहे के पास एक गांव में शरण ले रहे हैं.
यूनएनएचआरसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2011 तक भारत में 204,600 के करीब लोग शरण और आश्रय की तलाश में थे. इनमें से 100,000 लोग तिब्बत से, 73,000 लोग श्रीलंका से, 13,200 लोग अफगानिस्तान से, 16,300 लोग म्यांमार से और 2,100 कई अन्य देशों से हैं. अगर जमातुल अंसार चटगांव में आतंकी गतिविधी बढ़ाता है तो वहां के लोग मिजोरम में विस्थापित होंगे. जिससे देश का रिफ्यूजी संकट बढ़ेगा.
चटगांव में आतंकवादी समूहों के बीच मुठभेड़
ढाका ट्रिब्यून की खबर के मुताबिक छह अप्रैल को चटगांव संभाग के बंदरबन जिले में रोनवागंछारी के पास दो कबायली आतंकवादी समूहों के बीच मुठभेड़ हुई थी.
कुक्की-चिन नेशनल आर्मी (केएनए) और यूनाइटेड पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट से अलग हुए एक समूह के बीच हुई झड़प में आठ लोगों की मौत हो गयी. पुलिस को शक था कि केएनए कैडर की गोलीबारी में ये मौतें हुईं. गोलीबारी के बाद प्रतिद्वंद्वी समूह से कथित तौर पर उनके हथियार छीन लिए गए थे. छह अप्रैल को हुई इस झड़प का केंद्र रहे खमतांगपारा गांव में करीब 60 लोग अपने घरों को छोड़कर भाग गए थे.
वहीं चटगांव के करीब रोनवागंछारी इलाके में पिछले साल अक्टूबर में बांग्लादेशी सुरक्षा बलों ने विद्रोही समूह कुकी-चिन नेशनल फ्रंट केएनएफ के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई शुरू की थी. तब से वहां पर पर्यटकों के जाने पर मनाही थी. कुकी-चिन नेशनल फ्रंट बंग्लादेश का सबसे नया विद्रोही समूह है. 2022 के सैन्य अभियान में कुकी-चिन समुदाय के सैकड़ों लोगों को विस्थापित हुए थे. जिनमें से 300 लोगों ने सीमा पार करके भारत के मिजोरम में शरण लिया था.
एक बांग्लादेशी समाचार पोर्टल के मुताबिक केएनएफ ने पिछले साल 21 जून को तीन ग्रामीणों की हत्याओं की जिम्मेदारी लेते हुए एक सोशल मीडिया पोस्ट की थी. इसके बाद केएनएफ ने सुर्खियां बटोरी थी. बता दें कि केएनएफ बावम पार्टी के नाम से भी जाना जाता है.
आतंकवादी समूहों का जिहादी लिंक
अक्टूबर 2022 में बांग्लादेशी अर्धसैनिक बल रैपिड एक्शन बटालियन (आरएबी) ने केएनएफ के खिलाफ एक अभियान शुरू किया. आरएबी को ये सूचना मिली थी कि विद्रोही समूह इस्लामी चरमपंथियों को शरण और प्रशिक्षण दे रहा है.
इससे पहले आरएबी को खुफिया जानकारी मिली थी कि बांग्लादेश के अलग-अलग हिस्सों से 52 से ज्यादा लोग 'लापता' हो गए हैं. स्थानीय मीडिया ने बताया था कि सुरक्षा बलों को कोमिला और देश के दूसरे हिस्सों के सात युवकों की गिरफ्तारी के बाद एक सुराग मिला, जो ये इशारा कर रहे थे कि ये सभी लोग इस्लामी आतंकवादी संगठन जेएएफएचएस द्वारा प्रशिक्षण के लिए बानरबन की ओर जा रहे थे.
बांग्लादेश पुलिस के काउंटर टेररिज्म एंड ट्रांसनेशनल क्राइम (सीसीटीसी) के मुताबिक 2018 में स्थापित जमातुल अंसार फिल हिंडाल शरकिया ने सीएचटी क्षेत्र में अपनी पैठ मजबूत की है. बंग्लादेशी मीडिया के मुताबिक केएनएफ ने पैसा लेकर जेएएफएचएस के साथ एक सौदा किया. दोनों मिलकर चटगांव बंदरगाह पर अपना गढ़ बनाने की कोशिश में हैं.
बंग्लादेशी मीडिया का ये भी कहना है कि जेएएफएचएस मदरसा चलाने वाले लोगों की आड़ में अन्य धर्मों के लोगों को इस्लाम में परिवर्तित कर रहा है. जेएएफएचएस इस्लाम का प्रचार करने की आड़ में आतंकवाद फैला रहा है. सीसीटीसी प्रमुख मोहम्मद असदुज्जमां ने अक्टूबर में बंग्लादेशी मीडिया को बताया था कि वे भर्ती, वित्तपोषण, हथियार खरीदने और उनका इस्तेमाल करने के लिए एक बड़ा समूह बनाना चाहते थे.
बांग्लादेशी मीडिया के मुताबिक असदुज्जमां ने दावा किया कि इस्लामी आतंकवादी समूह ने सीएचटी को मजबूत करने, सैन्य प्रशिक्षण आयोजित करने, आतंकवादी हमलों को अंजाम देने और फिर पहाड़ियों पर लौटने के उद्देश्य से कम से कम 80 युवाओं की भर्ती की है.
हाल के महीनों में केएनए ने अपने आतंकवादी गतिविधि को बढ़ा भी दिया है. 12 मार्च को रोवांगछारी में एक गश्ती दल पर केएनए कैडरों ने कथित तौर पर गोलीबारी की. इस गोलीबारी में बांग्लादेशी सेना के एक अधिकारी की मौत हो गई थी और दो अन्य सैनिक घायल हो गए थे.
15 मार्च को केएनए के सदस्यों ने रूमा के लोंगथास झिरी इलाके में सुरक्षा बलों के एक सेवानिवृत्त कर्मी सहित नौ लोगों का कथित तौर पर अपहरण कर लिया था.
केएनए और सुरक्षा बलों के बीच झड़पों ने पर्यटन उद्योग को भी प्रभावित किया है. ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर में सैन्य अभियान के मद्देनजर बंदरबन जिले में कम से कम 200 होटलों और रिसॉर्ट्स ने अपने कर्मचारियों को निकाल दिया है.