नई दिल्ली: पुलिस को जब पता चला कि मैं ठीक तरीके से देख नहीं सकता तो मुझे और मारा. मेरे पैर पर लाठी मारी और कहा कि देख नहीं सकता तो यहां आया क्यों? गन्दी गन्दी गालियां भी दी. यह कहना है जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने वाले आरसलान तारेख का, जो 15 दिसंबर को लाइब्रेरी में मौजूद थे. आरसलान उस सीसीटीवी फुटेज में भी नज़र आ रहे हैं, जिसमें कुछ छात्र-छात्राएं दिख रहे हैं और फिर अचानक से कुछ लड़के अंदर दाखिल होते हैं और फिर अफरा तफरी का माहौल हो जाता है.

कौन है आरसलान?
जामिया विश्वविद्यालय के एक छात्र आर्सलान तारेख एमबीए सेकंड ईयर के छात्र हैं. वह आंशिक तौर पर दृष्टि बाधित हैं. उन्हें एक आंख से कुछ नहीं दिखता, जबकि दूसरी आंख से महज 10 प्रतिशत ही नज़र आता है. मूल रूप से पटना, बिहार के रहने वाले आरसलान का जन्म आबू धाबी में हुआ है. उनके पिता का बिहार में व्यापार है.

15 दिसंबर की कहानी आरसलान की जुबानी

आरसलान का कहना है कि 15 दिसम्बर की सुबह 11 बजे वह ओल्ड लाइब्रेरी में पढ़ने के लिए पहुंच गए थे. उसके बाद वह बाहर नहीं निकले. उन्हें मालूम था कि बाहर पीसफुल प्रोटेस्ट चल रहा है. वह बाहर नहीं गए. शाम को लगभग 5 बजे के आसपास पता चला कि बाहर पुलिस आंसू गैस के गोले छोड़ रही है, इसके अलावा यह भी पता चला कि बाहर पथराव भी हो रहा है. कुछ छात्र बाहर से अंदर भी आये. उस समय लाइब्रेरी के अंदर का माहौल थोड़ा घबराहट वाला हो गया था. सबको लग रहा था कि पुलिस अंदर न आ जाये. कुछ छात्रों ने कहा कि पीछे की तरफ चलते हैं. हम सब उठ कर पीछे की तरफ चले गए. कुछ छात्रों ने लाइब्रेरी के गेट बन्द करने के बाद उसके आगे बेंच और डेस्क अड़ा दिए थे. कुछ देर बाद पुलिस आयी और दरवाजे तोड़ने के बाद लाइब्रेरी में तोड़फोड़ की और फिर वहां मौजूद छात्रों को पीटना शुरू कर दिया. मुझे भी पीटा. बगैर यह जाने की मैं प्रदर्शन में मौजूद था या नहीं? पथराव में शामिल था या नहीं? मेरे सर पर, आंख पर, नाक पर, कंधे-कमर और पैर पर मारा.

उस दिन लाइब्रेरी में मौजूद थे, जिनका हिंसा या प्रदर्शन से कोई लेना देना नहीं था
इस घटना के बाद मैं पटना स्थित अपने घर चला गया था. मेरे घर वाले इस घटना से काफी आहत और चिंतित हुए क्योंकि उन्होंने जामिया में मुझे काफी उम्मीदों से पढ़ाई के लिए भेजा था. मैं लगभग 10 दिन बाद अपने घर से वापस आया. मेरा बस यही कहना है कि ऐसे बहुत से छात्र छात्राएं उस दिन लाइब्रेरी में मौजूद थे, जिनका हिंसा या प्रदर्शन से कोई लेना देना नहीं था. लेकिन पुलिस ने बगैर यह पुख्ता किये कि हिंसा में कौन शामिल है कौन नहीं सबको लाठियों से हांका.

जामिया प्रशासन से भी की है शिकायत
आरसलान का कहना है कि 15 दिसम्बर को लाइब्रेरी के अंदर जिस तरह से पुलिस घुसी और फिर मारपीट की, उसे लेकर उन्होंने जामिया प्रशासन से लिखित में शिकायत दी थी. उस शिकायत में आगे क्या हुआ यह तो पता नहीं किया लेकिन उम्मीद है कि जामिया प्रशासन सही कार्रवाई जरूर करेगा.

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