(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Jamia Millia Islamia: जामिया ने एक्टिवस्ट सफूरा जरगर की कैंपस इंट्री पर लगाया बैन, आदेश जारी कर कही ये बड़ी बात
सामाजिक कार्यकर्ता और शोधार्थी सफूरा जरगर दिसंबर 2019 में सरकार के खिलाफ सीएए प्रोटेस्ट के समय सुर्खियों में आईं थी. इस आंदोलन में उन्होंने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था.
Jamia Millia Islamia: जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने 2020 के दिल्ली दंगों की आरोपी सफूरा जरगर (Safoora Zargar) समेत अपने तीन पूर्व छात्रों के कैंपस में प्रवेश पर बैन लगा दिया है. विश्वविद्यालय ने एक अप्रासंगिक और आपत्तिजनक मुद्दे पर विश्वविद्यालय में प्रदर्शन करने के आरोप में इन छात्रों की कैंपस इंट्री पर बैन लगाया है.
मुख्य प्रॉक्टर के साइन वाले 14 सितंबर के आदेश में कहा गया है कि सक्षम प्राधिकारी ने शांतिपूर्ण शैक्षणिक माहौल बनाए रखने के लिए पूर्व छात्रों के परिसर में प्रवेश पर प्रतिबंध को मंजूरी दी है. कार्यकर्ता और शोधार्थी जरगर दिसंबर 2019 में संसद द्वारा संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) पारित किए जाने के बाद सीएए के खिलाफ प्रदर्शनों में कथित रूप से शामिल होने के कारण चर्चा में आई थीं. जरगर के अलावा जामिया मिल्लिया इस्लामिया के दो और पूर्व छात्रों के खिलाफ भी आदेश जारी किए गए हैं.
क्या कहता है आदेश?
दो पूर्व छात्रों के खिलाफ आदेशों में भाषा समान है, जरगर को लेकर आदेश में ‘शांतिपूर्ण शैक्षणिक माहौल को बिगाड़ने के लिए अप्रासंगिक और आपत्तिजनक मुद्दों के खिलाफ’परिसर में आंदोलन, प्रदर्शन और मार्च आयोजित करने में उनकी भागीदारी का उल्लेख है. आदेश में कहा गया कि वह विश्वविद्यालय के निर्दोष छात्रों को उकसा रही हैं और कुछ अन्य छात्रों के साथ अपने दुर्भावनापूर्ण राजनीतिक एजेंडे के लिए विश्वविद्यालय के मंच का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रही हैं.
आदेश में आगे कहा गया कि जरगर संस्थान के सामान्य कामकाज में बाधा डाल रही हैं. यह आदेश ऐसे समय में आया है जब विश्वविद्यालय ने जरगर के शोध प्रबंध में असंतोषजनक प्रगति के कारण उनका दाखिला रद्द कर दिया था. जरगर ने परिसर में प्रतिबंध को लेकर टिप्पणी करने से इनकार किया.
क्यों रद्द हुआ सफूरा का दाखिला?
सफूरा जरगर कई अन्य छात्रों के साथ अपना एडमिशन रद्द करने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहीं थी. आदेश में कहा गया कि सफूरा जरगर एम. फिल, समाजशास्त्र विभाग, सामाजिक विज्ञान डिपार्टमेंट की स्टूडेंट हैं. वह 23 फरवरी 2020 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगे भड़काने और शुरू करने के लिए अन्य लोगों के साथ साजिश रचने के आरोपियों में से एक है. उनके खिलाफ दिल्ली पुलिस द्वारा गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए), 1967 के तहत मामला दर्ज किया गया था.
आदेश में कहा गया कि कई अवसर देने के बावजूद दी गई अवधि के भीतर एम. फिल शोध प्रबंध प्रस्तुत न करने के कारण उनका नाम एम.फिल से हटा दिया गया और वह जामिया मिलिया इस्लामिया (Jamia) की छात्रा नहीं हैं. दो पूर्व छात्रों के खिलाफ जारी नोटिस में कहा गया है कि वे 30 अगस्त को विश्वविद्यालय की सेंट्रल कैंटीन (University Central Canteen) में सभा करने सहित परिसर में कई बार छात्रों की अनधिकृत सभाओं में सबसे आगे थे. विश्वविद्यालय ने कहा कि वे जामिया के छात्र नहीं होने के बावजूद परिसर में आंदोलन, प्रदर्शन और मार्च आयोजित करने में शामिल पाए गए हैं.
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