(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
जामिया हिंसा: गिरफ्तार 10 आरोपियों को 31 दिसंबर तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया, इनमें कोई छात्र नहीं
जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के नजदीक हुए हिंसा मामले में गिरफ्तार किए गए 10 लोगों को 31 दिंसबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. इनमें कोई भी छात्र नहीं है. सोमवार को इन्हें गिरफ्तार किया गया था.
नई दिल्ली: दिल्ली की एक कोर्ट ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के नजदीक नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शनों के संबंध में गिरफ्तार किए गए 10 लोगों को 31 दिसंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कामरान खान ने पहले 10 गिरफ्तार लोगों में से छह लोगों मोहम्मद हनीफ, दानिश उर्फ जफर, समीर अहमद, दिलशाद, शरीफ अहमद, मोहम्मद दानिश को न्यायिक हिरासत में भेजा था. पुलिस ने 14 दिन के लिए उनसे हिरासत में पूछताछ की इजाजत मांगी थी.
हालांकि, बाद में कोर्ट ने अन्य चार यूनुस खान, जुम्मन, अनल हसन, अनवार काला को भी न्यायिक हिरासत में भेज दिया. पुलिस ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के नजदीक हिंसा में शामिल होने के आरोप में सोमवार को इन्हें गिरफ्तार किया था. इनमें से कोई भी छात्र नहीं है.
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जामिया इलाके में तनाव, सामान्य जनजीवन प्रभावित
जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से लगे बाटला हाउस बाजार दोपहर तक सुनसान है और यहां स्टेशनरी की दुकान चलाने वाले 31 वर्षीय हरीश राव अब भी अपने पहले ग्राहक की प्रतीक्षा कर रहे हैं. संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में रविवार को हिंसा होने के बाद जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के आसपास के इलाकों में तनाव के कारण व्यवसाय प्रभावित हुआ है.
बाटला हाउस, न्यू गोले, अबु फजल, जाकिर नगर और गफ्फार मंजिल इलाके में मंगलवार की सुबह से ही सन्नाटा छाया हुआ है. ‘‘पुलिस बर्बरता’’ के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘मैं पेन, नोटपैड और किताबें बेचता हूं. मैं छात्रों से संपर्क में रहता हूं और उनके दर्द को समझ सकता हूं. वे सभी हमारे भाई-बहन हैं.’’
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राव की दुकान पिछले दो दिनों से बंद है. उन्होंने पूछा, ‘‘इस तरह की स्थिति में कौन पढ़ाई जैसा माहौल महसूस करेगा.’’ मोबाइल रिचार्ज की दुकान चलाने वाले 22 वर्षीय मोहम्मद अली जावेद ने कहा कि इलाके में ‘‘हंगामे’’ के कारण पिछले दो-तीन दिनों से उनकी दुकान बंद है.
कोटला बाजार में कपड़े की दुकान चलाने वाले आफताब राव ने कहा कि उनकी दुकान बंद है क्योंकि जामिया के छात्रों पर पुलिस बर्बरता और संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में उन्होंने अपनी आठ साल की बेटी के साथ प्रदर्शन में हिस्सा लिया. राव (36) ने कहा, ‘‘यह धर्म को लेकर नहीं है, कोई भी पिता ऐसा करेगा. हम सही कारणों के लिए लड़ रहे हैं.’’
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