Gyanvapi Case: देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने बुधवार को मुस्लिम समुदाय के लोगों का आह्वान किया कि ज्ञानवापी जैसे मुद्दे को सड़क पर न लाया जाए और सभी प्रकार के सार्वजनिक प्रदर्शनों से बचा जाए. जमीयत के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने एक बयान में कहा कि कुछ ‘शरारती लोग’ इस मामले के बहाने दो समुदायों के बीच दरार पैदा करने की कोशिश में हैं, इसलिए इसमें संयम जरूरी है.
मदनी ने आह्वान किया कि ज्ञानवापी जैसे मुद्दे को सड़क पर न लाया जाए और सभी प्रकार के सार्वजनिक प्रदर्शनों से बचा जाए. उन्होंने कहा, ‘‘इस मामले में मस्जिद कमेटी एक पक्षकार के रूप में विभिन्न अदालतों में मुकदमा लड़ रही है. उनसे उम्मीद है कि वे इस मामले को अंत तक मजबूती से लड़ेंगे. देश के अन्य संगठनों से अपील है कि वे इसमें सीधे हस्तक्षेप न करें.’’
'टीवी डिबेट और बहस में भाग लेने से परहेज करें'
मदनी ने कहा, ‘‘उलेमा, वक्ताओं और टिप्पणीकारों से अपील है कि वह टीवी डिबेट और बहस में भाग लेने से परहेज करें. यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है, इसलिए सार्वजनिक बहस में भड़काऊ बहस और सोशल मीडिया पर भाषणबाजी किसी भी तरह से देश और मुसलमानों के हित में नहीं है.’
'तथ्यों को सामने आने देना चाहिए'
वहीं इस बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने बुधवार को कहा कि इस मुद्दे पर तथ्यों को सामने आने दिया जाना चाहिए. संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा,‘‘ मैं समझता हूं कि ज्ञानवापी मुद्दे का तथ्य सामने आने दिया जाना चाहिए . सच्चाई को अपना रास्ता तलाशने देना चाहिए .’’ आरएसएस के संवाद प्रकोष्ठ इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र द्वारा आयोजित समारोह में उन्होंने यह बात कही.
गौरतलब है कि मस्जिद, प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर के करीब स्थित है . एक स्थानीय अदालत, हिन्दू महिलाओं के एक समूह द्वारा इसकी दीवार से लगी प्रतिमाओं के समक्ष दैनिक पूजा अर्चना करने संबंधी याचिका पर सुनवाई कर रही है.
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