Jamiat Ulama-e-Hind: जमीयत की बैठक में बोले मौलाना मदनी - शरीयत में दखल नहीं करेंगे बर्दाश्त, हमारे वजूद का सवाल
Jamiat Ulama-e-Hind Meeting: मदनी ने अपने संबोधन ने कहा कि, हमारे लहजे में इन्हें नफरत कहां से नजर आ रही है. हम डराते नहीं हैं आप डराने का काम करते हैं. हम गैर नहीं हैं, हम इस मुल्क के हैं.
Jamiat Ulama-e-Hind Meeting: देवबंध में दूसरे दिन भी ज़मीयत उलमा-ए-हिंद का सम्मलेन चला. इस दौरान जमीयत की तरफ से कई तरह के प्रस्तावों पर मुहर लगाई गई, जिनमें ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा शाही ईदगाह जैसे मामले भी शामिल हैं. सम्मेलन के दूसरे दिन भी जमीयत के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी (Maulana Mehmood Madani) ने कहा कि, हर चीज पर समझौता हो सकता है लेकिन विचारधारा पर समझौता नहीं हो सकता है. मदनी ने कहा कि शरीयत में दखल को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
हमें पहले मुल्क बचाना है - मदनी
मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि, आज हमारे वजूद का सवाल है. मुसलमानों को पहले से ही जुल्म सहने की आदत है. हमें पहले मुल्क बचाना है. इसीलिए हम मुल्क की बात पहले कर रहे हैं, लेकिन इससे भी बहुत सारे लोगों के पेट में दर्द हो रहा है. अगर वो राष्ट्रवाद की बात करते हैं तो वो सही है, लेकिन अगर हम ये बात करेंगे तो उसे दिखावा कहा जाता है. अगर इस मुल्क की हिफाजत के लिए हमारी जान जाएगी तो हमारे लिए सौभाग्य की बात होगी.
'आप करते हैं डराने का काम'
मदनी ने अपने संबोधन ने कहा कि, हमारे लहजे में इन्हें नफरत कहां से नजर आ रही है. हम डराते नहीं हैं आप डराने का काम करते हैं. हम गैर नहीं हैं, हम इस मुल्क के हैं, ये हमारा मुल्क है. हम अपने मुल्क के लिए अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे. हमारी तहजीब, खाने-पीने के तरीके अलग हैं... अगर तुमको हमारा मजहब बर्दाश्त नहीं है तो तुम कहीं और चले जाओ. वो जरा-जरा सी बात पर कहते हैं कि पाकिस्तान चले जाओ. हमें तो मौका मिला था, लेकिन हमने उसे रिजेक्ट कर दिया.
जमीयत की इस बैठक में मदनी ने कहा कि, हमने ऋषिकेश से लेकर दिल्ली तक हजारों पेड़ लगाए थे. मंदिरों, मस्जिदों और स्कूलों में पेड़ लगाए गए थे. हमें इस बरसात में ऐसा ही अभियान चलाना है. लोग बोलेंगे, लिखेंगे... लेकिन इसकी परवाह मत करिए. उन्होंने आगे कहा कि, हम लोग बहुत लंबे अरसे के बाद यहां मिल रहे हैं.
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