Maulana Mahmood Madani on Madarsa Act Judgement: जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने यूपी मदरसा एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि यह हम पहले से कह रहे थे कि हाई कोर्ट का जो फैसला था वह तथ्यों के आधार पर नहीं था, बल्कि दुर्भाग्यपूर्ण था. सुप्रीम कोर्ट ने भी 2 दिन पहले टिप्पणी की थी कि छोटे कोर्ट में जो फैसले होते हैं वह गलत होते हैं और इंसाफ नहीं मिलता है.
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला अच्छा फैसला है. ये एक्ट जो बना है सिर्फ मदरसे के लिए नहीं है. गुरुकुल भी इसमें शामिल हैं. इसमें अलग अलग धर्मों के संस्थान शामिल हैं. उसमें एक छोटा सा पार्ट मदरसे का भी है. ओवरऑल देखें तो इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को खारिज किया गया है.
मौलाना साजिद रशीदी ने भी किया स्वागत
ऑल इंडिया इमाम असोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी ने कहा, "हम सरकार से फंड नहीं लेना चाहते. पर आप मदरसे को पैसा नहीं देना चाहते हो, लेकिन प्राण प्रतिष्ठा पर करोड़ों रुपये खर्च करते हैं, दीपोत्सव पर करोड़ों खर्च करते हो, यह इनके डबल फेस को दिखाता है. इनकी कथनी और करनी में अंतर को दर्शाता है." उन्होंने आगे कहा कि मदरसा कोई डिग्री कोर्स या ऐसा कोर्स नहीं कराता जो सरकारी नौकरी के लिए मान्य हो.
खालिद रशीद फिरंगी ने क्या कहा
लखनऊ की ईदगाह के इमाम और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगी ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि इस फैसले से मदरसा से जुड़े लोगों में खुशी की लहर है. यूपी मदरसा अधिनियम का मसौदा यूपी सरकार ने ही बनाया था. सरकार की ओर से बनाया गया अधिनियम असंवैधानिक कैसे हो सकता है? हमने पहले भी कहा है कि हम मदरसों में इस्लामी शिक्षा के अलावा आधुनिक शिक्षा भी देते हैं.
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