(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Eid-ul-Azha 2023: 'सरकारी गाइडलाइन और...', बकरीद से पहले जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने मुस्लिमों से की खास अपील
Jamiat Ulema-e-Hind Eid Appeal: जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने अपील की है कि ईद-उल-अजहा के मौके पर साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाए.
Eid-ul-Azha 2023 News: मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद (Jamiat Ulema-e-Hind) ने सोमवार (26 जून) को मुसलमानों से ईद-उल-अजहा पर कुर्बानी देते समय सरकारी दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करने का आग्रह किया. साथ ही कुर्बानी दिए गए जानवरों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर नहीं करने की भी अपील की. कुर्बानी का त्योहार कहे जाने वाली बकरीद या ईद-उल-अजहा गुरुवार (29 जून) को मनाई जाएगी.
बकरीद का त्योहार चांद दिखने के 10वें दिन मनाया जाता है और ईद उल जुहा या अजहा या बकरीद, ईद उल फित्र के दो महीने नौ दिन बाद मनाई जाती है. बीते सोमवार (19 जून) को उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और कर्नाटक में बकरीद का चांद नजर आया था. उस दिन मुस्लिम संगठनों ने 29 जून को बकरीद का त्योहार मनाए जाने का ऐलान किया था.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने की अपील
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने एक बयान में कहा कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए ये जरूरी है कि मुसलमान जानवरों की कुर्बानी देते समय एहतियाती कदम उठाएं. उन्होंने मारे गए जानवरों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर न करने का आग्रह किया. मदनी ने मुसलमानों से कुर्बानी (बलिदान) करते समय सरकारी दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करने और प्रतिबंधित जानवरों की बलि न देने का भी आग्रह किया.
बकरीद पर साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें
उन्होंने कहा कि जहां भी कोई जायज कुर्बानी को रोकने की कोशिश करे तो प्रशासन को विश्वास में लें. मदनी ने मुसलमानों को ईद-उल-अजहा के मौके पर साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखने की सलाह दी और इस बात पर जोर दिया कि जानवरों के कचरे को सड़कों, गलियों और नालियों में नहीं फेंका जाना चाहिए बल्कि इस तरह से दफनाया जाना चाहिए कि इससे कोई दुर्गंध न हो. उन्होंने लोगों से सांप्रदायिक तत्वों की ओर से किसी भी प्रकार की उकसावे की स्थिति में स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराने का भी आग्रह किया.
क्यों मनाते हैं बकरीद?
इस्लामी मान्यता के अनुसार, पैगंबर इब्राहिम अपने पुत्र इस्माइल को इसी दिन अल्लाह के हुक्म पर अल्लाह की राह में कुर्बान करने जा रहे थे, तो अल्लाह ने उनके बेटे को जीवनदान दे दिया और वहां एक पशु की कुर्बानी दी गई थी जिसकी याद में यह पर्व मनाया जाता है.
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