नई दिल्ली: देश में मुसलमानों के प्रमुख संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर मुस्लिम समुदाय से ईद-उल-अज़हा पर स्वास्थ्य मंत्रालय के सभी दिशा-निर्देशों का पालन करने की सोमवार को अपील की.
जमीयत के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के मद्देनजर मुसलमानों को सलाह दी जाती है कि एक दूसरे से उचित दूरी बनाकर और स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए मस्जिद या घर पर ईद-उल-अज़हा की नमाज अदा करें .
मौलाना मदनी ने एक बयान में कहा, "अधिक उचित है कि सूरज निकलने के बीस मिनट के बाद छोटी नमाज़ और खुतबा अदा करके कुर्बानी कर ली जाए और गंदगी को इस तरह दफ्न किया जाए कि जिससे बदबू न फैले. "
जमीयत प्रमुख ने लोगों से प्रतिबंधित पशुओं की कुर्बानी नहीं करने की भी अपील की. उन्होंने कहा कि अगर कहीं पर कुर्बानी करने में परेशानी हो तो कुछ समझदार और जिम्मेदार लोग प्रशासन को विश्वास में लेकर कुर्बानी कराएं.
उन्होंने कहा कि फिर भी मज़हबी वाजिब (धार्मिक दायित्व) को अदा करने का रास्ता न निकले तो किसी नजदीकी स्थान पर कोई दिक्कत न हो वहां कुर्बानी करा दी जाए.
मौलाना मदनी ने कहा, "जिस जगह कुर्बानी होती आई है और फिलहाल दिक्कत है तो वहां कम से कम एक बकरे की कुर्बानी अवश्य की जाए और प्रशासन के कार्यालय में दर्ज भी करा दिया जाए ताके भविष्य में कोई दिक्कत न हो."
ईद-उल-अज़हा या जुहा या बकरीद पर मुस्लिम समुदाय के सदस्य पशुओं की कुर्बानी देते हैं. कुर्बानी उन लोगों पर फर्ज होती है जिनके पास 613 ग्राम चांदी या इसके बराबर का पैसा है. ईद-उल-अज़हा का त्योहार एक अगस्त को मनाया जाएगा.