Jamiat Ulema-e-Hind Controversy: जमीयत उलेमा-ए-हिंद के 34वें अधिवेशन में मौलान अरशद मदनी (Maulana Arshad Madani) के बयान पर बवाल जारी है. अधिवेशन में जैन मुनि के साथ-साथ कई धर्म गुरु मौजूद थे. मौलाना अरशद मदनी के बयान के बाद मंच पर बवाल भी हो गया था, जिसके बाद जैन मुनि मंच छोड़कर चले गए थे.


अधिवेशन में मौलान अरशद मदनी ने कहा कि अल्लाह ने इसी धरती पर मनु यानी आदम को उतारा है, जिनकी पत्नी हव्वा हैं जिनको तुम हेमवती कहते हो. ये हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सबके पूर्वज हैं. इसके साथ ही उन्होंने दिल्ली के रामलीला मैदान में जमीयत उलेमा ए हिंद के अधिवेशन में कहा कि ओम् और अल्लाह एक ही हैं. अब मदनी ने अपने बयान पर सफाई दी है.


हम मनु को मानते हैं- मदनी


एक समाचार चैनल से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि मैंने किसी के मज़हब पर कोई टिप्पणी नहीं की, हम मनु को मानते हैं, अल्लाह को मानते हैं, जैन मुनि को मंच नहीं छोड़ना चाहिए था, हम ओम् को अल्लाह कहते हैं, अगर कोई ओम् को नहीं मानता तो हमें बताएं, हम सभी को अल्लाह ने बनाया है."


ईश्वर को उसी तरह मानते हैं जैसे मनु मानते हैं...


मौलाना मदनी ने चैनल से बात करते हुए कहा, "हम ईश्वर को उसी तरह मानते हैं जैसे मनु मानते हैं. मनु ईश्वर को ऐसे मानते थे कि ईश्वर का कोई शरीर नहीं है, उसकी कोई सूरत नहीं है, वो सदैव से हैं, यहीं के रहने वाले हैं और सदैव रहने वाले हैं. वो जो चाहते हैं वो करते हैं, उन्हीं ने आसमान को बनाया है, जिसकी ऐसी तकत है कि वो हमेशा से है और हमेशा रहने वाला है. हम समझते हैं कि वो अल्लाह है हम मानते हैं कि उसकी पूजा करनी चाहिए."


जब उनसे सवाल पूछा गया कि अगर आपके तर्क से किसी की आस्था को चोट पहुंची है तो क्या आप उसके लिए खेद प्रकट करेंगे? इस पर मदनी ने कहा कि मुझे लगता है कि उन्होंने मेरी बात को समझा नहीं है और अगर वो बात को समझ लेते तो कोई ऐसी बात नहीं होती.       


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