UCC: यूनिफॉर्म सिविल कोड पर क्या है जमीयत उलेमा-ए-हिंद का रुख? मौलाना अरशद मदनी ने बताया
Jamiat On Uniform Civil Code: जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कहा कि देश के लोगों के धार्मिक विश्वास और रीति-रिवाज अलग-अलग रहे हैं, लेकिन उनके बीच कभी कोई संघर्ष या तनाव नहीं रहा.
Jamiat Ulema-e-Hind On UCC: लोकसभा चुनाव से पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) को लेकर हलचल बढ़ गई है. अब मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने इसका खुलकर विरोध किया है. जमीयत ने सोमवार (19 जून) को दावा किया कि समान नागरिक संहिता संविधान के तहत मिली धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ है. जमीयत ने साथ ही ये भी कहा कि वह इसके खिलाफ सड़कों पर नहीं उतरेगा और इसके बजाय कानून के दायरे में रहकर हर संभव कदम उठाकर इसका विरोध किया जाएगा.
मुस्लिम संगठन का ये बयान 22वें लॉ कमीशन की ओर से यूसीसी पर कंसल्टेशन (परामर्श) प्रक्रिया शुरू करने के बाद आया है. लॉ कमीशन ने इसके लिए आम लोगों और धार्मिक संगठनों से राय मांगी है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने एक बयान में कहा कि वह यूसीसी का विरोध करता है क्योंकि ये पूरी तरह से धार्मिक स्वतंत्रता और संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 में नागरिकों को दिए गए मौलिक अधिकारों के खिलाफ है.
"हम सड़कों पर विरोध नहीं करेंगे"
मुस्लिम संगठन ने कहा कि यूसीसी संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों के खिलाफ है. ये मुसलमानों के लिए अस्वीकार्य है और देश की एकता और अखंडता के लिए हानिकारक है. जमीयत के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि ये मामला केवल मुस्लिम से संबंधित नहीं है बल्कि सभी भारतीयों से जुड़ा है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद किसी भी तरह से धार्मिक मामलों और किसी की आस्था से समझौता नहीं कर सकता है. हम सड़कों पर विरोध नहीं करेंगे, लेकिन कानून के दायरे में रहकर अपनी आवाज उठाएंगे.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने यूसीसी पर क्या कहा?
बयान में कहा गया कि हमारा संविधान एक धर्मनिरपेक्ष संविधान है, जिसमें प्रत्येक नागरिक को पूर्ण धार्मिक स्वतंत्रता दी गई है और हर व्यक्ति को अपनी पसंद का धर्म चुनने का अधिकार भी दिया गया है क्योंकि भारत के लिए कोई आधिकारिक धर्म नहीं है. जमीयत ने कहा कि संविधान देश के सभी नागरिकों को पूरी आजादी देता है. जमीयत (अरशद मदनी गुट) की कार्यकारी समिति ने रविवार को अपनी बैठक में यूसीसी का विरोध करने वाला एक प्रस्ताव भी पारित किया.
"धार्मिक स्वतंत्रता नष्ट करने का प्रयास"
जमीयत ने आरोप लगाया कि यूसीसी की मांग और कुछ नहीं बल्कि नागरिकों की धार्मिक स्वतंत्रता को कम करने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास है. इसलिए जमीयत पहले दिन से इस प्रयास का विरोध कर रही है क्योंकि उसे लगता है कि समान नागरिक संहिता की मांग नागरिकों की धार्मिक स्वतंत्रता और संविधान की मूल भावना को नष्ट करने के प्रयास का हिस्सा है.
"लोगों को गुमराह करने की कोशिश"
मदनी ने कहा कि भारत जैसे देश में, जहां विभिन्न धर्मों के अनुयायी सदियों से अपने-अपने धर्मों की शिक्षाओं का पालन करते हुए शांति और एकता से रह रहे हैं, यूसीसी लगाने का विचार न केवल आश्चर्यजनक है बल्कि ये भी लगता है कि लोगों को गुमराह करने के लिए एक विशेष संप्रदाय को ध्यान में रखकर इस्तेमाल किया जा रहा है. कहा जा रहा है कि ये संविधान में लिखा है, हालांकि आरएसएस के दूसरे सरसंघचालक (प्रमुख) गुरु गोलवलकर ने खुद कहा है कि समान नागरिक संहिता भारत के लिए अप्राकृतिक और इसकी विविधता के खिलाफ है.
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