जम्मू: जम्मू एयरपोर्ट स्टेशन पर हुए आतंकी हमले को लेकर जांच एजेंसियों ने बड़ा खुलासा किया है. जांच एजेंसी ने इस हमले में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का सीधा हाथ होने से इनकार नहीं किया है और साथ ही दावा किया है कि यह हमला पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी की आइसोलेटेड टास्किंग का हिस्सा हो सकता है.
शनिवार और रविवार की दरमियानी रात जम्मू के अति संवेदनशील और अति महत्वपूर्ण एयरफोर्स स्टेशन पर हुए दोहरे ड्रोन हमले की जांच में जुटी एजेंसियों ने एबीपी न्यूज़ से एक बड़ा खुलासा किया है.
जांच एजेंसियों ने एबीपी न्यूज़ को बताया है कि अब तक इस मामले में किसी भी बड़े आतंकी संगठन का सीधा हाथ होने के कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं. जिसके बाद अब यह एजेंसियां इस मामले को आइसोलेटेड टास्किंग का हिस्सा बता रही है.
सूत्रों ने एबीपी न्यूज को बताया है कि आइसोलेटेड टास्किंग आतंक की वो रणनीति है जिसमें काफी कम लोगों को शामिल किया जाता है. जांच एजेंसियों ने एबीपी न्यूज़ को बताया है कि आइसोलेटेड टास्किंग में हमले की साजिश रचने वाले चुनिंदा लोग इस हमले को एग्जीक्यूट करने वाले कुछ लोग और इस हमले को अंजाम देने वाले शामिल रहते हैं.
जांच एजेंसी ने बताया है कि आम तौर पर जब इस तरह के किसी हमले की साजिश किसी आतंकी संगठन को दी जाती है तो आतंकी संगठन में काफी हलचल होती है और आतंकी संगठन से जुड़े लोग या ओजीडब्लू इस हमले की बात एक दूसरे से करते हैं, लेकिन जम्मू एयरपोर्ट हमले में अब तक इस तरह की किसी हलचल को नहीं देखा गया है.
जांच एजेंसी ने अब तक इस मामले में किसी भी ओजीडब्लू या आतंकियों के मददगार को गिरफ्तार नहीं किया गया है. जो यह साफ इशारा करता है कि इस हमले में अभी तक सुरक्षाबलों को किसी भी बड़े आतंकी संगठन के होने के सबूत नहीं मिले हैं. आमतौर पर जब इस तरह के हमलो को इस आतंकी संगठन अंजाम देता है तो 4 दिनों में उनके पुलिस या एजेंसिया आतंकियों के मददगारों तक पहुंच जाती है. लेकिन, इस मामले में अब तक ऐसा नहीं हुआ है.
जांच एजेंसियां यह भी मान रही है कि जिस तरह तरह से पाकिस्तान पर एफएटीएफ की तलवार लटकी है ऐसे में आईएसआई के लिए आइसोलेटेड टास्किंग देना और फायदेमंद हो जाता है क्योंकि अगर किसी पाकिस्तान समर्थित गुट का हाथ इस हमले में नहीं आता तो सीधे तौर पर पाकिस्तान पर उंगली उठाना मुश्किल हो जाता है.
सूत्रों ने भी एबीपी न्यूज़ को यह भी बताया है कि इस हमले के बाद भी अभी तक ना तो सीमा पार और ना ही भारत में बैठे आतंकियों में कोई हलचल दिखी है. सूत्रों ने एबीपी न्यूज़ को यह भी बताया है कि आइसोलेटेड टेस्टिंग में उस आदमी तक पहुंचना मुश्किल होता है जिसने इस हमले को अंजाम दिया हो.
आमतौर पर जब कोई आतंकी संगठन इस तरह के हमले को अंजाम देता है तो उन्हें ट्रैक करना और उन तक पहुंचना काफी आसान होता है. जम्मू एयरपोर्ट स्टेशन पर हुए हमले की बात करते हुए सुरक्षा एजेंसियों ने बताया है कि अगर ये आइसोलेटेड टास्किंग का मामला है तो इसकी भनक सिर्फ ऐसे के कुछ टॉप अधिकारियों इस हमले को एग्जीक्यूट कराने वाले शख्स और इस हमले को अंजाम देने वाले शख्स ताकि महदूद है.
19 नवंबर 2020 को जम्मू के टोल प्लाजा पर हुए आतंकी हमले में सुरक्षा बलों ने जिन चार जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों की कब्र उसी ट्रक में बनी बनाई थी जिसमें सवार होकर वह श्रीनगर जा रहे थे.
एजेंसी ने बताया है कि इस हमले के बाद जैसे मोहम्मद कि पाकिस्तान में कमर की टूट गई थी और उनके कई आतंकियों की कॉल्स को इंटरसेप्ट किया गया जिन्होंने इस एनकाउंटर के बाद मारे गए चार आतंकियों की मौत पर अफसोस जताया है. लेकिन, जम्मू एयरफोर्स मामले में अब तक इस तरह की कोई भी इंटरसेप्ट एजेंसियों को नहीं मिली है.