Governance Rules Jammu Kashmir Pending: केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में नई सरकार के एक महीने बाद भी सरकार की शक्तियों को लेकर अस्पष्टता बनी हुई है. केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने अब तक ‘व्यावसायिक नियम’ (Business Rules) को परिभाषित नहीं किया है जो कैबिनेट, मुख्यमंत्री, मंत्रियों और प्रशासनिक सचिवों की शक्तियों को स्पष्ट करेंगे. ये नियम जम्मू-कश्मीर के राज्य से केंद्र शासित प्रदेश में बदलने के बाद अनिवार्य हो गए थे. सूत्रों के अनुसार जम्मू-कश्मीर सरकार ने इन नियमों का मसौदा तैयार कर केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेज दिया है, लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री की व्यस्तताओं के कारण मंजूरी में देरी हो रही है.
हालांकि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 ने अधिकांश शक्तियों को परिभाषित किया है, लेकिन गृह मंत्रालय की मंजूरी के बिना पूरी तरह से स्पष्टता नहीं आई है. सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने हितधारकों से परामर्श करके ‘व्यावसायिक नियम’ तैयार किए, जिन्हें गृह मंत्रालय को भेजा गया है. इन नियमों में मुख्यमंत्री, मंत्रियों और प्रशासनिक सचिवों के अधिकारों की स्पष्टता आनी बाकी है जिसके कारण सरकार के कामों में थोड़ी कठिनाई हो रही है.
विधानसभा और मंत्रिपरिषद में बदलाव की उम्मीदें
अब्दुल रहीम राथर, विधानसभा अध्यक्ष, नियम बनाने वाली समिति के अध्यक्ष होंगे और जल्द ही विधानसभा के कामकाजी नियम तैयार किए जाएंगे. वर्तमान में विधानसभा का बजट सत्र पुराने नियमों के अनुसार चलेगा क्योंकि नए नियम बनने में अभी समय लग सकता है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालने की संभावना है और अगले साल बजट सत्र के दौरान जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश का पहला बजट पेश किया जाएगा.
केंद्र शासित प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली में जल्द आ सकती है स्पष्टता
केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से ‘कामकाजी नियम’ जारी होने के बाद सरकार की कार्यप्रणाली में स्पष्टता आएगी. हालांकि इस समय सरकार और प्रशासन विभिन्न विभागों के साथ बैठकें कर रही है और बजट प्रक्रिया को तेज करने की योजना बना रही है. मंत्रिपरिषद का विस्तार अभी बाकी है जिसमें मुख्यमंत्री सहित नौ मंत्री हो सकते हैं.