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जम्मू-कश्मीर: सेना ने शुरू की शोपियां एनकाउंटर की जांच, जानें क्या है पूरा मामला?
सोशल मीडिया में आई खबरों के आधार पर सेना ने इस मामले में कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के आदेश दिए हैं.
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श्रीनगर: दक्षिण कश्मीर के अमशीपोरा एनकाउंटर केस में सेना ने कोर्ट ऑफ इंक्वायरी शुरू कर दी है. इसके तहत राजौरी जिले के गायब हुए तीन मजदूरों के परिवारवालों के डीएनए सैंपल ले लिए गए हैं ताकि उनका मिलान मारे गए आतंकियों के डीएनए से कराया जा सके.
18 जुलाई को शोपियां के अमशीपोरा में सेना ने तीन आतंकियों को मार गिराए जाने का दावा किया था. लेकिन सोशल मीडिया में आई खबरों के आधार पर सेना ने इस मामले में कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के आदेश दे दिए थे.
दरअसल, सोशल मीडिया पर दावा किया गया था कि जिन तीन 'आतंकियों' को सेना ने मारने का दावा किया है, वे तीनों जम्मू-कश्मीर के ही राजौरी जिले के मजदूर थे और अपने घरों से लापता थे. सोशल मीडिया की इन खबरों के आधार पर सेना ने मामले के जांच के आदेश दिए थे. इसी कड़ी में सेना ने जम्मू-कश्मीर पुलिस की मदद से लापता हुए मजूदरों के परिवारवालों के डीएनए सैंपल कलेक्ट किए हैं. इसके साथ ही कुछ अन्य गवाहों के बयान भी दर्ज कराए गए हैं.
आपको बता दें कि 18 जुलाई की तड़के सेना की राष्ट्रीय राईफल्स (आरआर) की '62 यूनिट' ने शोपियां जिले के अमशीपोरा में एक एनकाउंटर किया था, जिसमें तीन आतंकियों के मारे जाने का दावा किया गया था. मारे गए आतंकियों के पास से दो पिस्टल भी बरामद हुए थे. ये एनकाउंटर आरआर की स्थानीय यूनिट ने ह्यूमन-इंट यानि ह्यूमन-इंटेलीजेंस के आधार पर किया था.
आरआर की यूनिट को एक इनपुट मिला था, कि अमशीपोरा के एक घर में 4-5 आतंकी छिपे हुए हैं. इसी के आधार पर आरआर यूनिट ने वहां कोर्डन एंड सर्च ऑपरेशन लॉन्च किया था. सेना का दावा था कि कोर्डन लगाते वक्त ही आतंकियों ने एके-47 से उन पर जबरदस्त फायरिंग की थी. इसके बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ के टुकड़ियां भी एनकाउंटर-स्थल पर पहुंच गई थीं. घर में दाखिल होते वक्त भी उन पर पिस्टल से फायर हुआ था.
सेना की जवाबी कारवाई में घर में मौजूद तीनों 'आतंकी' मारे गए थे. मारे गए आतंकियों के पास से सुरक्षाबलों को दो पिस्टल भी बरामद हुए थे. एनकाउंटर के बाद स्थानीय लोगों ने सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी भी की थी लेकिन सीआरपीएफ और पुलिस ने मिलकर भीड़ को तितरबितर कर दिया था.
इस एनकाउंटर के बाद आरआर के अधिकारियों ने दावा किया था कि इस इलाके में पाकिस्तानी और स्थानीय आतंकियों के छिपे होने की जानकारी मिली थी जो आईइडी ब्लास्ट के जरिए सुरक्षाबलों को निशाना बनाना चाहते थे. हालांकि सेना ने एनकाउंटर के बाद ये भी माना था कि अमशीपोरा इलाके में काफी समय बाद आतंकियों के छिपे होने की सूचना मिली थी.
18 जुलाई के एनकाउंटर के समय इन तीनों 'आतंकियों' की पहचान नहीं हो पाई थी और तीनों को अज्ञात बताकर अंतिम संस्कार (दफन) कर दिया गया था.
लेकिन 11 अगस्त को सेना की श्रीनगर स्थित चिनार कोर (15वीं कोर) ने सोशल मीडिया में आई खबरों के आधार पर इस एनकाउंटर के उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए. श्रीनगर स्थित रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता, कर्नल राजेश कालिया ने बयान जारी कर कहा कि, भारतीय सेना सभी एंटी-टेरेरिस्ट ऑपरेशन्स के नैतिक आचरण के लिए प्रतिबद्ध है. ऐसे मामले जहां संदेह उठाया जाता है, वहां कानून के अनुसार उचित प्रक्रिया के तहत जांच की जाती है. चूंकि (अमशीपोरा) मामले की जांच चल रही है, इसलिए उचित कानूनी प्रक्रिया को प्रभावित किए बिना आगे के विवरण समय-समय पर साझा किए जाएंगे."
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