जम्मू कश्मीर: सेना ने स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने का उठाया जिम्मा, खोले दो अलग-अलग कोविड सेंटर
जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती इलाके बारामुला और उरी में सेना ने स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाना शुरू कर दिया है.
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कोरोना की दूसरी लहर इस बार शहरी इलाकों से निकल कर दूर दराज के गांव-देहात तक भी पहुंच चुकी है और बड़ी संख्या में कोरोना के मामले भी ऐसे इलाकों से आने लगे हैं. जम्मू-कश्मीर के दुर्गम इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव से लोगों को बहुत ज्यादा परेशानियां उठानी पड़ रही है साथ ही प्रशासन भी कुछ नहीं कर पा रही.
वहीं, उत्तरी कश्मीर के सीमावर्ती इलाके-बारामुला और उरी में सेना ने स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाना शुरू कर दिया है. सेना ने बारामुल्ला और उरी में कोरोना संक्रमण से लड़ने के लिए दो अलग-अलग कोविड सेंटर खोले है जहां पर एक साथ 20 मरीजों का उपचार हो सकेगा.
ऑक्सीजन के लिए मारा मारी का सामना करना पड़ा
सेना की मेडिकल कोर के बारामुल्ला के कर्नल वरुण वर्गीस के मुताबिक देशभर में जिस तरह लोगों को बेड और ऑक्सीजन के लिए मारा मारी का सामना करना पड़ा. ऐसा हमारे इलाके में ना हो यह फैसला लिया गया है और आगे की जरूरत के अनुसार स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर जरूरत के अनुसार और भी मदद की जाएगी.
प्रतेक कोविड केयर सेंटर में 5 क्रिटिकल केयर बेड, 15 ऑक्सीजन बेड के साथ-साथ जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त बेड लगाने का भी प्रावधान रखा गया है. सेना यह सेंटर स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर चलाया जाएगा. सेंटर में मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट और वेंटीलेटर सपोर्ट भी मिलेगा.
कोविड सेंटर खुलने से पहाड़ों में रहने वाले लोगों को बहुत सुविधा होगी
फिलहाल यह सेवाएं लोगों को बारामुल्ला के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मिल रही है लेकिन यहां तक आने के लिए लोगों को काफी लंबा रास्ता तय करना पड़ता है. उरी और बारामुल्ला के बाहरी इलाके में यह कोविड सेंटर खुलने से पहाड़ों में रहने वाले लोगों को बहुत सुविधा होगी.
बारामुला के चीफ मेडिकल अफसर डॉ बशीर अहमद के अनुसार यह नए सेंटर बनने से ऐसे मरीजों के उपचार में मदद मिलेगी. जिन को लौ फ्लो ऑक्सीजन की जरूरत होगी और सेना के इस कदम से पहले से ही मुश्किलों का सामना कर रहे स्वास्थ सवाओं को थोड़ी रहत मिलेगी.
इस के साथ-साथ सेना ने दुर्गम इलाकों में लोगों को कोरोना के खतरे से अवगत कराने के लिए "खैरियत पैट्रॉल" का भी भी आयोजन करना शुरू किया है. जिसमें सेना के जवान आतंक विरोधी ऑपरेशन की तरह ही पैदल गांव-गांव में जाकर लोगों में इस बिमारी के बारे में जानकारी के साथ-साथ मास्क, सेनिटाइजर, PPE किट और अन्य सामान भी बांट रहे हैं.
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