नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में 10 हजार अतिरिक्त जवानों की तैनाती के बाद कई तरह की अटकलें लगाई जा रही है. इस बीच सरकार के सूत्र ने दावा किया है कि जम्मू-कश्मीर में इसी साल अक्टूबर में चुनाव कराए जा सकते हैं. सूत्र ने कहा, ''कश्मीर में विधानसभा चुनाव के लिए सरकार ने अपने स्तर पर तैयारी शुरू कर दी है. सुरक्षाबलों की तैनाती, प्रशासनिक फेरबदल और अन्य तैयारियां विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र की गई है.''अक्टूबर में तीन राज्यों महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड के साथ कश्मीर में चुनाव कराए जा सकते हैं.


बीजेपी ने कल कोर ग्रुप की बैठक बुलाई है. सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, बीजेपी महासचिव राम माधव, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र रैना और राज्य के अन्य वरिष्ठ नेता इस बैठक में शामिल होंगे. पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा बैठक की अध्यक्षता कर सकते हैं. प्रदेश बीजेपी के एक नेता ने कहा कि गृह मंत्री और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी जम्मू कश्मीर के नेताओं के साथ बैठक कर सकते हैं.


इस साल विधानसभा चुनाव कराए जाने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि चुनाव आयोग द्वारा कार्यक्रम की घोषणा के बाद केंद्र चुनाव कराने की तैयारी कर रहा है. चुनाव आयोग ने चार जून को कहा था कि वह अगले महीने संपन्न होने वाली अमरनाथ यात्रा के बाद कार्यक्रम की घोषणा करेगा. प्रदेश बीजेपी ने कहा है कि वह किसी भी समय चुनाव के लिए तैयार है.


क्यों तेज हुई अटकलें?
केंद्र सरकार ने पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर में अर्धसैनिक बलों की 100 अतिरिक्त कंपनियों की घाटी में तैनाती की है. कश्मीर में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती की पृष्ठभूमि में शहर में नए सुरक्षा नाकों का निर्माण भी देखा जा रहा है. पुराने शहर, पर्यटकों की ज्यादा आवाजाही वाले इलाकों में यहां कई बंकर बनाए गए हैं.


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गृह मामलों पर राज्यपाल के सलाहकार के विजय कुमार ने सवालों का जवाब देते हुए कहा कि वह हर समय अफवाहों और कयासों का जवाब नहीं दे सकते. कुमार ने कहा, “अगर कोई सोशल मीडिया पर अफवाह या अफरा-तफरी मचा रहा है तो मुझे उसका जवाब नहीं देना चाहिए, यह उचित नहीं होगा. किसी ने कहा कि अतिरिक्त सुरक्षा बल आ रहे हैं. यह यहां उपलब्ध सुरक्षा तंत्र के लिये सोची समझी प्रतिक्रिया है.”


आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू है. संसद के मौजूदा सत्र की शुरुआत में जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाए जाने का फैसला लिया गया था. राष्ट्रपति शासन बढ़ाए जाने संबंधी प्रस्ताव लोकसभा में रखते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि सरकार चुनाव के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा था, "जब भी चुनाव आयोग राज्य में चुनाव करवाना चाहेगा, मतदान होगा और केंद्र इसमें दखल नहीं देगा."


आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर में 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में किसी भी एक दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था. महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी ने सबसे अधिक सीटें 28 जीती थी. वहीं बीजेपी ने 25, नेशनल कांफ्रेंस ने 15 और कांग्रेस ने 12 सीटों पर कब्जा जमाया था.


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किसी भी एक दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में बीजेपी और पीडीपी ने गठबंधन कर सरकार बनाई. लेकिन कई मुद्दों पर विवाद के बाद पिछले साल जून में बीजेपी-पीडीपी ने एक दूसरे से गठबंधन तोड़ लिया. स्थानीय पार्टी विधानसभा चुनाव नहीं कराए जाने को लेकर केंद्र सरकार पर सवाल उठाती रही है.