जम्मू: जम्मू-कश्मीर में जानलेवा रोग कैंसर तेज़ी से अपने पांव पसार रहा है. स्थिति कितनी चिंताजनक है इसका अंदाज़ा आप इसी आंकड़े से लगा सकते हैं कि जम्मू-कश्मीर में बीते दो सालों में इस बीमारी ने 17,000 लोगों की जान ली है. हैरान करने वाले आंकड़े यह भी हैं कि हर साल कैंसर के 850 से अधिक नए मामले सामने आते हैं. लेकिन इस बीमारी से निपटने या समय पर पता लगाने या इलाज के संसाधनो की कमी जम्मू-कश्मीर में है.


अगर नेशनल कैंसर रेजिस्ट्री प्रोग्राम के आंकड़ों की बात करें तो जम्मू-कश्मीर में साल 2016 तक कैंसर के 15,652 मामले दर्ज थे. लेकिन, उसके अगले ही साल यह आंकड़ा बढ़कर 16,480 हो गया. जबकि साल 2018 में कैंसर रोगियों की संख्या 17,351 तक पहुंच गयी. इन आंकड़ों से साफ़ है कि जम्मू-कश्मीर में हर साल कैंसर रोगियों में बढ़ोतरी हो रही है. नेशनल कैंसर रेजिस्ट्री प्रोग्राम के आंकड़े बताते हैं कि इस रोग से जम्मू-कश्मीर में 17,133 लोग अपनी जान क़रीब दो सालों में गंवा चुके हैं. इस रोग से साल 2017 में 8,345 और साल 2018 में 8,788 लोग मारे जा चुके हैं.


कैंसर के मामलों में जम्मू-कश्मीर अपने पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ से कहीं आगे है. वहीं, जम्मू-कश्मीर में कैंसर के इलाज में जुटे डॉक्टर दावा करते हैं कि बेशक कैंसर का इलाज और रोकथाम जम्मू-कश्मीर स्वास्थ्य विभाग की ज़िम्मेदारी है लेकिन अब केंद्र सरकार भी इस रोग की रोकथाम और इलाज के लिए मदद के लिए आगे आ रही है.


जम्मू-कश्मीर में कैंसर के मामलों का समय पर पता लगाने, इसके रोग के इलाज के लिए विशेष अस्पतालों के निर्माण और विशेषज्ञ डॉक्टर और पैरा मेडिकल स्टाफ़ को तैयार करने जैसे बिंदुओं पर काम किया जा रहा है. राज्य में फ़िलहाल स्तन कैंसर, सर्विकल कैंसर और ओरल कैंसर के रोकथाम और इलाज पर काम किया जा रहा है. वहीं, सूत्र बताते हैं कि जम्मू-कश्मीर में कैंसर के इलाज के लिए विशेषज्ञ अस्पतालों के निर्माण में अभी दो से तीन सालों का समय लगेगा और तब तक राज्य में इस रोग से जूझ रहे मरीज़ों को राज्य से बाहर जाकर ही अपना इलाज करवाना पड़ेगा.


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