भारत-पाकिस्तान सीमा: खेतों में बारूद की महक नहीं, अब बिखर रही है स्ट्रॉबेरी की सुगंध, पढ़ें पूरी खबर
भारत-पाकिस्तान सीमा पर रह रहे किसानों के हाथ में आपने अक्सर मोर्टार शैल और गोलियों के बचे हुए अंश देखे होंगे, जो लगातार पाकिस्तान इन इलाकों में बरसाता आ रहा है. लेकिन, इस सीमा पर इन दिनों किसान स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं.
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जम्मू: भारत और पाकिस्तान के बीच बदलते रिश्तों का असर अब सीमा पर खेती करने वाले किसानों पर भी पड़ा है और जिन खेतों से बारूद की महक आती थी, अब वहां स्ट्रॉबेरी की सुगंध बिखर रही है. भारत और पाकिस्तान के बीच लगातार बदलते रिश्तों के बाद अब जम्मू में सीमा पर वीरान पड़े खेतों में दोबारा फसल लहलहाने लगी है.
भारत-पाकिस्तान सीमा पर रह रहे किसानों के हाथ में आपने अक्सर मोर्टार शैल और गोलियों के बचे हुए अंश देखे होंगे, जो लगातार पाकिस्तान इन इलाकों में बरसाता आ रहा है. लेकिन, इस सीमा पर इन दिनों किसान स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. भारत और पाकिस्तान के बीच लगातार बदल रहे रिश्तों के बीच सीमा पर किसान पारंपरिक खेती छोड़ कर मुनाफा देने वाली खेती पर ध्यान दे रहे हैं. सीमा पर इन दिनों स्ट्रॉबेरी की फसल से लहलहाते खेतों को देखकर शायद ही कोई इस बात पर यकीन करे कि यह खेत भारत पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा से महज कुछ मीटर की दूरी पर है.
जम्मू के कठुआ जिले के हरिपुर इलाके में सालों से बंजर पड़े खेतों में इन दिनों बारूद की गंध नहीं, बल्कि स्ट्रॉबेरी की महक आ रही है. दरअसल भारत और पाकिस्तान के बीच बदलते रिश्तों के बाद सीमा से सटे किसान अब पारंपरिक खेती-बाड़ी को छोड़कर मुनाफा देने वाली फसल का रुख कर रहे हैं और यही वजह है कि नौसेना की नौकरी छोड़ धीरज कुमार इन दिनों सीमा पर सटे अपने खेतों में स्ट्रॉबरी उगा रहे हैं.
धीरज कुमार दावा कर रहे हैं कि अगर भारत और पाकिस्तान के रिश्ते सुधारते हैं तो इसका सबसे ज्यादा असर किसानों पर पड़ेगा. सीमा पर अगर शांति रहती है तो किसान आराम से अपने खेतों में जाकर खेती-बाड़ी कर सकते हैं और न केवल अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं, बल्कि अन्य लोगों के लिए भी रोजगार के अवसर पैदा कर सकते हैं. धीरज की मानें तो देश भक्ति और मातृभूमि का जज्बा उन्हें विरासत में मिला. उनके पिता पुलिस में कार्यरत थे और वह खुद 18 साल नौसेना में काम करके आए हैं. सीमा पर जिस तरह की भी परिस्थितियां रही हों, उनके परिवार ने कभी सीमा नहीं छोड़ी और हर परिस्थिति का डटकर मुकाबला किया.
अब जबकि दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधर रहे हैं तो वह सीमा पर रहकर न केवल खेती-बाड़ी कर रहे हैं, बल्कि दूसरे लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं. सीमा पर रहना इन किसानों का दावा है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सीमा पर रहने वाले लोगों को स्ट्रैटजिक एसेट्स कहा था. सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोहा ने वर्दी नहीं पहनी, लेकिन वो देश सेवा में शुरू से ही जुटे हुए हैं. आज अगर भारत पाकिस्तान के बीच रिश्ते सुधरे हैं, तो यह लोग सीमा पर खड़े हैं. यह किसान उस समय भी यहां खड़े थे जब भारत और पाकिस्तान में स्थितियां बहुत विपरीत थीं.
वहीं, सीमा पर रह रहे लोगों का दावा है कि पहले बेरोजगार होते थे और कोई काम नहीं करते थे. पाकिस्तान यहां रोज़ फायरिंग करता था और लोग डर के मारे खेतों में नहीं आ पाते थे. लोगों के लिए रोजगार के सीमित साधन थे, लेकिन अब यहां अपने खेतों में ही काम कर रहे हैं और काफी खुश हैं. भारत-पाकिस्तान सीमा पर खेती कर रहे धीरज ने अब इलाके के अन्य किसानों के लिए भी एक मिसाल कायम की कर दी है. अब अन्य किसान भी पारंपरिक खेती को छोड़ सीमा से सटे अपने खेतों में कुछ नया कर अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं.
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