देशभर में गर्मी अपने चरम पर है. इस मौसम से जम्मू और कश्मीर भी अछूता नहीं रह गया है. इन दिनों वहां के जंगल गभीर खतरे का सामना कर रहे हैं. अमूमन इस मौसम में जंगलों में गर्मियों की वजह से मौसम शुष्क हो जाता है और वहां पर आग लग जाती है.
सेटेलाइट चित्रों के अनुसार पिछले 24 घंटों में कश्मीर में 8 और जम्मू क्षेत्र में लगभग 50 जंगलों में आग लग चुकी है. उनमें से अधिकांश में अभी भी आग लगी हुई है हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि जंगल में लगी आग कुछ कम हो सकती है क्योंकि वहां आने वाले दिनों में बारिश होने की उम्मीद है.
पिछले 15 दिनों में जंगलों में 100 बार रिपोर्ट हुई हैं आग लगने की घटनाएं
राज्य के अधिकारियों ने बताया है कि पिछले 15 दिनों के दौरान जम्मू-कश्मीर में 100 से अधिक जंगलों में आग लग चुकी है और इसका मुख्य कारण गर्मी की वजह से हुए सूखे को माना जा रहा है. अधिकारियों ने कहा कि इस साल मार्च और अप्रैल में 'असामान्य' शुष्क मौसम और तुलनात्मक रूप से कम बर्फ को उत्तरी कश्मीर में जंगल की आग बढ़ने का संभावित कारण माना जा रहा है.
वहीं उत्तरी कश्मीर के बांदीपोरा के जंगलों में अकेले छह से अधिक आग की घटनाएं देखी जा चुकी हैं.अधिकारियों के अनुसार जिनमें उनको एक दिन से अधिक समय तक भीषण आग से जूझना पड़ा है. बांदीपोरा में वन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि इस समय आग लगने का मुख्य कारण सूखापन था. हालांकि वे 'हरे सोने को बचाने' में सक्षम है क्योंकि यह "सूखी घास" है. आमतौर पर झाड़ियों में आग लग जाती है.
तीन वन रक्षकों को आई थी चोटें
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार बांदीपोरा की दो वन रेंज खुइहामा और अजस वन रेंज ने मार्च में कम से कम छह आग की घटनाओं को रिपोर्ट किया है. इनमें से आग ने दो विशाल क्षेत्रों को अपने चपेट में ले लिया था जिसमें तीन वन रक्षकों को चोटें आई थी और वहां के दो गांवों को खाली कराना पड़ा था. इन वन क्षेत्रों में खयार-लवायपोरा, मुल्किहामा, अजस वाइल्ड रेंज, बुथू और पानार शामिल हैं.
हालांकि मंडल कार्यालय के अधिकारियों का कहना है कि जंगल में आग लगने की छह घटनाएं हुई हैं लेकिन स्थानीय लोग हर दो-तीन दिनों में घटनाओं को रिपोर्ट कर रहे हैं. हाल ही में आजस रेंज में वन कम्पार्टमेंट 114 और 142 आग की चपेट में आ गए थे.
मौसम शुष्क होने से बढ़ती है आग की घटनाएं
संभागीय वन अधिकारी शब्बीर अहमद ने कहा कि इस मौसम में घास सामान्य रूप से नियमित अंतराल पर बारिश से भीग जाती है. इस बार यह सूखी है जिससे आसानी से आग लग जा रही है. अधिकारियों का कहना है कि सर्दियों के दौरान इन इलाकों में कम बर्फबारी होती है क्योंकि इनमें से अधिकांश क्षेत्र शुष्क होते हैं.
अधिकारियों ने कहा कि मिट्टी भी नम होगी लेकिन इस सीजन में ऐसा नहीं है. डीएफओ ने कहा कि मार्च का मौसम ज्यादातर शुष्क रहने से आग की घटनाओं की संभावना कई गुना बढ़ गई है. अधिकारियों ने कहा कि इस बार का मौसम असामान्य रहा है और कुछ गतिविधियां निर्धारित समय से पहले हो गई हैं जबकि फूलों और बीजों का अंकुरण भी जल्दी हुआ है.
अलग-अलग जगहों पर बनाए गये हैं नियंत्रण कक्ष
जंगल में आग की घटनाओं में वृद्धि के साथ अधिकारियों ने अब आग में फंसे वन क्षेत्रों तक "तुरंत" पहुंचने के लिए अलग-अलग नियंत्रण कक्ष बनाए हैं. वन संरक्षण अधिकारियों का कहना है कि विभाग आग से लड़ने के लिए सुरक्षा उपकरणों की भारी कमी का सामना कर रहा है. उन्होंने आगे कहा कि खयार-लवायपोरा में मार्च में लगी आग बहुत बड़ी थी और इसे बुझाने में दो दिन लगे थे.
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