Punishment to 9 Government Employees in Jammu and Kashmir: जम्मू-कश्मीर प्रशासन (Jammu and Kashmir) ने "जनहित" का हवाला देते हुए पांच अधिकारियों (Five Officers) सहित नौ सरकारी कर्मचारियों (Government Employees) की समय से पहले सेवानिवृत्ति (Retirement) का आदेश दिया है. बर्खास्त किए गए सभी कर्मचारी आवास एवं शहरी विकास विभाग (Housing and Urban Development Department) के हैं और उन पर भ्रष्टाचार (Corruption) के आरोप लगे हैं और जांच चल रही है. कर्मचारियों को जम्मू और कश्मीर सिविल सेवा विनियम के 226 (2) अनुच्छेद के तहत बर्खास्त कर दिया गया है. जो प्रशासन को 22 वर्ष की सेवा पूरी करने या 48 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद किसी भी समय सरकारी कर्मचारियों को सेवानिवृत्त करने की अनुमति देता है.
लेख अनिवार्य रूप से सरकारी सेवाओं से काम नहीं करने वाले कर्मचारियों को हटाने के लिए लागू किया जाता है जिसके तहत कर्मचारियों को तीन महीने का नोटिस या नोटिस के बदले तीन महीने का वेतन और भत्ता दिए जाने के बाद सेवानिवृत्त किया जा सकता है. हालांकि, बर्खास्त कर्मचारियों को सभी पेंशन लाभ बरकरार रहेंगे. आवास एवं शहरी विकास विभाग के अन्य तीन कर्मचारी भ्रष्टाचार के आरोप में हटाए गए गौहर आल तुगू, सचिव, शहरी स्थानीय निकाय निदेशालय, कश्मीर, शगुफ्ता फाजिल, सचिव, शहरी स्थानीय निकाय निदेशालय, कश्मीर और ठाकुर दास इलेक्ट्रीशियन, नगर समिति रियासी.
9 कर्मचारियों को समय से पहले सेवानिवृत्ति
आवास एवं शहरी विकास विभाग के जिन नौ कर्मचारियों को समय से पहले सेवानिवृत्ति का सामना करना पड़ा है, उनकी पहचान श्रीनगर नगर निगम में वरिष्ठ भवन अधिकारी मेहराज-उद-दीन बूजा, नगर परिषद अनंतनाग के गुलाम मोहि-उद-दीन मलिक, सहायक स्वच्छता अधिकारी शब्बीर अहमद वानी के रूप में की गई है. नगर निगम के शोपियां, जाकिर ऑल, स्वच्छता पर्यवेक्षक, नगर निगम डोडा, अब्दुल लतीफ, प्रधान सहायक, नगर निगम बनिहाल और सुकेश कुमार, वरिष्ठ सहायक, नगर निगम डोडा.
वित्तीय अनियमितता और अवैध निर्माणों की अनुमति
विभागीय समितियों (Departmental Committees) द्वारा अधिकारियों (Officers) के खिलाफ आरोपों (Allegations) की पुष्टि की गई और अनुच्छेद 226 (2) के तहत नियमित समीक्षा समिति (Review Committee) द्वारा सही ठहराया गया, जिसमें अभिलेखों के मिथ्याकरण और वित्तीय अनियमितताओं, अवैध निर्माणों की अनुमति देने और उनके कार्यकाल के दौरान विभिन्न शहरी और स्थानीय निकाय में अवैध नियुक्तियों की अनुमति देना शामिल है.
Punishment to 9 Government Employees in Jammu and Kashmir: जम्मू-कश्मीर प्रशासन (Jammu and Kashmir) ने "जनहित" का हवाला देते हुए पांच अधिकारियों (Five Officers) सहित नौ सरकारी कर्मचारियों (Government Employees) की समय से पहले सेवानिवृत्ति (Retierment) का आदेश दिया है. बर्खास्त किए गए सभी कर्मचारी आवास एवं शहरी विकास विभाग (Housing and Urban Development Department) के हैं और उन पर भ्रष्टाचार (Corruption) के आरोप लगे हैं और जांच चल रही है. कर्मचारियों को जम्मू और कश्मीर सिविल सेवा विनियम के 226 (2) अनुच्छेद के तहत बर्खास्त कर दिया गया है जो प्रशासन को 22 वर्ष की सेवा पूरी करने या 48 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद किसी भी समय सरकारी कर्मचारियों को सेवानिवृत्त करने की अनुमति देता है.
लेख अनिवार्य रूप से सरकारी सेवाओं से काम नहीं करने वाले कर्मचारियों को हटाने के लिए लागू किया जाता है जिसके तहत कर्मचारियों को तीन महीने का नोटिस या नोटिस के बदले तीन महीने का वेतन और भत्ता दिए जाने के बाद सेवानिवृत्त किया जा सकता है. हालांकि, बर्खास्त कर्मचारियों को सभी पेंशन लाभ बरकरार रहेंगे. आवास एवं शहरी विकास विभाग के अन्य तीन कर्मचारी भ्रष्टाचार के आरोप में हटाए गए गौहर आल तुगू, सचिव, शहरी स्थानीय निकाय निदेशालय, कश्मीर, शगुफ्ता फाजिल, सचिव, शहरी स्थानीय निकाय निदेशालय, कश्मीर और ठाकुर दास इलेक्ट्रीशियन, नगर समिति रियासी.
9 कर्मचारियों को समय से पहले सेवानिवृत्ति
आवास एवं शहरी विकास विभाग के जिन नौ कर्मचारियों को समय से पहले सेवानिवृत्ति का सामना करना पड़ा है, उनकी पहचान श्रीनगर नगर निगम में वरिष्ठ भवन अधिकारी मेहराज-उद-दीन बूजा, नगर परिषद अनंतनाग के गुलाम मोहि-उद-दीन मलिक, सहायक स्वच्छता अधिकारी शब्बीर अहमद वानी के रूप में की गई है. नगर निगम के शोपियां, जाकिर ऑल, स्वच्छता पर्यवेक्षक, नगर निगम डोडा, अब्दुल लतीफ, प्रधान सहायक, नगर निगम बनिहाल और सुकेश कुमार, वरिष्ठ सहायक, नगर निगम डोडा.
वित्तीय अनियमितता और अवैध निर्माणों की अनुमति
विभागीय समितियों (Departmental Committees) द्वारा अधिकारियों (Officers) के खिलाफ आरोपों (Allegations) की पुष्टि की गई और अनुच्छेद 226 (2) के तहत नियमित समीक्षा समिति (Review Committee) द्वारा सही ठहराया गया, जिसमें अभिलेखों के मिथ्याकरण और वित्तीय अनियमितताओं, अवैध निर्माणों की अनुमति देने और उनके कार्यकाल के दौरान विभिन्न शहरी और स्थानीय निकाय में अवैध नियुक्तियों की अनुमति देना शामिल है.
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