जम्मू-कश्मीर: दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान में दिखा लुप्तप्राय कश्मीरी हिरण ‘हंगुल’ का झुंड, संरक्षण प्रयासों से हुई संख्या में वृद्धि
दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान में 40 से 50 हंगुल का एक बड़ा झुंड देखा गया है. इससे वन्यजीव संरक्षण से जुड़े लोग बहुत खुश हैं.
श्रीनगर: वन्यजीव संरक्षण के लिए एक सकारात्मक संकेत में, कई दशकों में पहली बार कश्मीरी हिरण ‘हंगुल’ की संख्या में उत्साहजनक गति से वृद्धि हुई है. हाल ही में यहां दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान में 40 से 50 हंगुल का एक बड़ा झुंड देखा गया है. इससे वन्यजीव संरक्षण से जुड़े लोग बहुत खुश हैं.
रीजनल वाइल्डलाइफ वार्डन कश्मीर, राशिद नकाश द्वारा एबीपी न्यूज के साथ साझा किया गया एक वीडियो में राष्ट्रीय उद्यान की बर्फ से ढकी ढलानों पर लगभग 40 से 50 हंगुल के झुंड को दिख रहा है. नकाश ने ट्विटर पर भी यह वीडियो पोस्ट किया है. उन्होंने लिखा, "जब मैं दाचीगाम में इस तरह एक हंगुल झुंड देखता हूं, तो भविष्य उज्ज्वल लगता है!".
When I see a Hangul herd like this in Dachigam, future seems bright! pic.twitter.com/80NTm8j3xC
— Raashid Naqash (@hangulnaqash) March 1, 2022
कश्मीरी हिरण हंगुल की संख्या में 90 के दशक की शुरुआत गंभीर गिरावट दर्ज की गई, जब संख्या 175 जितनी तक पहुंच गई थी, जो अब तक की सबसे कम दर्ज संख्या से ऊपर थी. लेकिन हाल के वर्षों में, वन्यजीव विभाग के संरक्षण प्रयासों के कारण संख्या में वृद्धि हुई है.
28 जुलाई, 2020 को हाल के इतिहास में पहली बार मध्य कश्मीर के गांदरबल के कंगन में वानगथ के नारानाग वन क्षेत्र में 6 से 8 हंगुल का झुंड देखा गया. यह क्षेत्र दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान में हंगुल संरक्षण क्षेत्र के बाहर आता है और यह एक संकेत है कि पार्क में हंगुल की संख्या बढ़ रही है.
बड़े झुंड के बारे में एबीपी न्यूज से बात करते हुए नकाश ने कहा कि यह एक सकारात्मक और उत्साहजनक संकेत है कि यहां कश्मीर स्टैग या हंगुल का एक बड़ा झुंड देखा गया है. नकाश ने कहा, "हंगुल के झुंड को 27 फरवरी को दाछीगाम राष्ट्रीय उद्यान में देखा गया था. इसके आवास और संरक्षण के लिए सरकार द्वारा किए गए उपायों के जवाब में इस तरह के और अधिक झुंड दिखने की उम्मीद कर रहे हैं."
हंगुल, (cervus elaphus hanglu), एक गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजाति है जो मुख्य रूप से दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान और कश्मीर में इसके आसपास के क्षेत्रों में पाई जाती है. नर हंगुल की सींग और भूरा लाल कोट विशेषता है. मादा हंगुल के सींग नहीं होते हैं. यह भारतीय उपमहाद्वीप में लाल हिरण समूह का एकमात्र उत्तरजीवी है और इसकी आबादी में वर्षों से गिरावट आ रही है.
दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान को गंभीर रूप से संकटग्रस्त हंगुल का अंतिम निवास स्थान कहा जाता है, जो 11 से 16 अंकों के साथ अपने शानदार सींगों के लिए जाना जाता है, और उपमहाद्वीप में यूरोप के लाल हिरण परिवार की एकमात्र जीवित प्रजाति है.
हंगुल व्यापक रूप से 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में कश्मीर घाटी के पहाड़ी क्षेत्रों में पाया गया था, उनकी संख्या लगभग 5000 थी. हालांकि, शिकार और उनके प्राकृतिक आवास के अतिक्रमण के कारण, संख्या 1970 में लगभग 150 तक गिर गई.
वन्यजीव संरक्षण विभाग द्वारा की गई नवीनतम जनगणना से पता चला है कि हंगुल की आबादी में मामूली वृद्धि हुई है. 2019 में 237 की तुलना में हंगुल की अनुमानित जनसंख्या अब 261 है. पिछले तीन लगातार सर्वेक्षणों में, हर दो साल के बाद, हंगुल की आबादी में थोड़ा ऊपर की ओर रुझान दिखा है. 2015 में, हंगुल की जनसंख्या 186 थी जबकि 2017 और 2019 में यह 197 और 237 थी.
जम्मू और कश्मीर सरकार ने IUCN और WWF के साथ मिलकर प्रोजेक्ट हंगुल नामक एक संरक्षण योजना शुरू की है. नवीनतम हंगुल जनसंख्या अनुमान जनगणना-2021 के अनुसार, लुप्तप्राय हंगुल, (कश्मीरी हिरण ) की आबादी ने कश्मीर घाटी में मामूली वृद्धि दर्ज की है.
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