जम्मू कश्मीर में आतंक विरोधी ऑपरेशन पर कोरोना लॉकडाउन का काफी असर पड़ा है और आने वाले दिनों में कश्मीर घाटी में ऑपरेशन में तेज़ी लायी जाएगी. जम्मू कश्मीर पुलिस के डीजीपी दिलबाग सिंह के अनुसार अकेले दक्षिण कश्मीर में 100 से ज्यादा आतंकी इस समय सक्रीय हैं.
दक्षिण कश्मीर में आज अमरनाथ यात्रा और सुरक्षा हालात की समीक्षा के लिए हुई बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए दिलबाग सिंह ने कहा कि कोरोना के खिलाफ लड़ी जा रही लड़ाई में बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात होने से ऑपरेशन में कुछ कमी ज़रूर आयी है, और इस पर पुलिसकर्मियों के कोरोना संक्रमित होने के कारण भी कुछ असर पड़ा है. लेकिन अब आने वाले दिनों में दक्षिण कश्मीर में ऑपरेशन में तेज़ी लाई जाएगी.
लेकिन नए लड़को की आतंकी संगठनो में शामिल होने के लगतार आने वाले मामलों को चिंता की बात मानते हुए डीजीपी दिलबाग सिंह ने एक बार फिर इन युवाओं के परिवारों से अपील की और उनकी वापसी के लिए सभी तरह की मदद का भरोसा दिया.
उन्होंने कहा, "हमारी कोशिश होती है कि ऐसे भटके हुए युवाओं को ज़िन्दगी जीने का एक और मौका दे सकें. भले ही वह आतंकी बनने की रह पर जाने का विचार कर रहे हों या पहला कदम उठा भी चुके हों" दिलबाग सिंह ने कहा कि क्यूंकि हम जानते हैं कि पाकिस्तान और आतंकी संगठन कश्मीर में अशांति फैलाने के लिए इन युवाओं को भटकाने का काम नहीं रुकने देंगे.
अमरनाथ यात्रा को लेकर भले ही अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया हो, लेकिन पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां यात्रा के लिए सुरक्षा इंतजाम को लेकर अपनी तैयारी पूरी करने में जुट गयी है. इस साल की अमरनाथ यात्रा 29 जून से शुरू होनी है. यकीनन कोरोना के बढ़ते आंकड़ों के चलते इसके स्थगित होने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है.
डीजीपी के अनुसार जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कोरोना से लड़ी जा रही जंग में दोहरा रोले निभाया है. एक तरफ पुलिस ने अपने 100% जवानों और अफसरों में पहला वैक्सीन लगाने का काम पूरा किया है और दूसरे टीके में भी यह प्रतिशत 80 के पार है.
दिलबाग सिंह ने कहा, "पुलिस ने ना सिर्फ टीकाकरण का काम पूरा किया है. साथ-साथ स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव कम करने के लिए अपने कोविड-19 सेंटर खोले हैं, जहां पुलिस कर्मियों और उनके परिवार वालों के साथ साथ आम जनता का भी उपचार हो रहा है. प्रदेश के सभी विभागों में भले ही जम्मू-कश्मीर पुलिस के सब से ज्यादा लोग संक्रमित हुए हों लेकिन पुलिसकर्मियों में मृत्यु दर सब से कम इसी के कारण हुई है"