Jammu Kashmir Voter List: जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव  के मद्देनजर चुनाव आयोग ने बुधवार को एक एलान किया, जिसके बाद विवाद हो गया है. इस फैसले के मुताबिक नॉन लोकल्स को मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने का हक दिया गया है. इसके लेकर जम्मू-कश्मीर के सूचना और जनसंपर्क निदेशालय (DIPR) ने शनिवार को एक स्पष्टीकरण जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि कश्मीरी प्रवासियों के नामांकन के लिए विशेष प्रावधानों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. चुनाव आयोग के इस फैसले से यहां के सियासी गलियारों में हलचल पैदा कर दी है. इसी को लेकर स्पष्टीकरण जारी किया गया है


मतदाता सूची में कोई बदलाव नहीं
जम्मू-कश्मीर के डीआईपीआर विभाग ने कहा है कि, "कश्मीरी प्रवासियों के लिए उनके मूल मूल निर्वाचन क्षेत्रों की मतदाता सूची में नामांकन के लिए विशेष प्रावधानों में कोई बदलाव नहीं किया गया है." वहीं इसमें आगे कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर सरकार में प्रॉपर्टी की खरीद और जॉब्स के संबंध में नियमों में कोई बदलाव नहीं हुआ. इसके साथ ही मतदाता सूची में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है. 


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मतदाता सूची बढ़ी
डीआईपीआर विभाग ने आगे कहा, "2011 में जम्मू-कश्मीर राज्य के विशेष संशोधन में प्रकाशित वोटरों की संख्या 66,00,921 थी. लेकिन आज जम्मू-कश्मीर जोकि केंद्र शासित प्रदेश है की मतदाता सूची में वोटरों की संख्या 76,02,397 है. यह बढोत्तरी राज्य में नए वोटरों के जुड़ने से हुई है." अधिकारियों ने कहा कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और 1951 अनुच्छेद 370 को हटने के बाद जम्मू और कश्मीर में लागू है. जो आम तौर पर यहां रहने वाले व्यक्ति को जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश की मतदाता सूची में पंजीकृत होने की अनुमति देता है.


लोकतंत्र के ताबूत में आखिरी कील
जम्मू-कश्मीर के डीआईपीआर विभाग की ओर से यह बयान चुनाव आयोग की घोषणा के एक दिन बाद आया है. वहीं चुनाव आयोग की घोषणा के बाद पीडीपी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने विरोध करते हुए कहा था कि यह चुनावी लोकतंत्र के ताबूत में आखिरी कील साबित होगा. 


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