नई दिल्ली: शनिवार को प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरुआथ की. इसके बाद पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधन भी दिया. पीएम मोदी के संबोधन पर प्रतिक्रिया देते हुए जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि पीएम मोदी ने जो बात कही है कि यहां लोग चुनाव नहीं कराना चाहते थे, वो बिलकुल सही है.


उपराज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने लाल क़िले की प्राचीर से कहा था कि कश्मीर में चुनाव होगा. डीलिमिटेशन का काम चल रहा है. चुनाव कराने का काम निर्वाचन आयोग का है. उन्होंने कहा, “इतना मैं ज़रूर कह सकता हूं कि किसी को संदेह नहीं रहना चाहिए.”


मनोज सिन्हा ने कहा, “राजनीतिक दलों की अपनी-अपनी मीमांसा है. लेकिन मुझे लगता है कि इन सब चीजों से जनमत बड़ा है. पिछले चार पांच महीनों में जो हमने संवाद किया है उससे हालात बदले हैं. पीएम ने जो सपना देखा है, उस पर काम हो रहा है.”


उपराज्यपाल ने कहा, “मुझे लगता है कि घाटी की जनता अलगाववाद और आतंकवाद से ऊब गई है. मैं लोगों से मिलता रहता हूं. मैं इन लोगों को यही सलाह दूंगा कि जो लोग संवैधानिक पदों पर बने रहे हैं, वे भाषा की मर्यादा बनाये रखें. लोग पता नहीं क्या-क्या बोलते हैं.”


इसके साथ ही उन्होंने कहा, “जो फ़ारस की संविधान में आस्था रखते हैं...मैं उन लोगों से मिलता हूं...संवाद करता हूं...फारूख अब्दुल्ला से मिला हूं...महबूबा मुफ्ती की पुत्री ने मुझे मेल किया था कि मेरी मां नज़रबंद है. मैंने कहा कि होम सेक्रेटरी को मेल करें.”


मनोज सिन्हा ने कहा कि रोशनी एक्ट वाला फैसला हाई कोर्ट का है. उन्होंने कहा, “मैंने किसी के साथ भेदभाव नहीं किया. सरकार में बैठे लोगों ने अपने हिसाब से क़ानून बना कर ज़मीन क़ब्ज़ा कर लिया...अदालत के कहने पर लोगों के नाम सार्वजनिक किए गए. हमने एक एसआईटी बनाने के लिए कहा है. अभी और नाम आयेंगे. कमजोर लोगों की हम मदद करेंगे. सीबीआई इस पूरे मामले की जांच कर रही है. हम ये भी कर सकते हैं कि जिन लोगों ने घर बना लिए हैं उनसे हम बाज़ार के हिसाब से पैसा ले लेंगे. सीबीआई और ईडी जैसी एजेंसियां यहां कश्मीर में अपना काम कर रही हैं.”


उपराज्यपाल ने कहा कि पिछले दो सालों में सबसे अधिक पर्यटक यहां आ रहे हैं. कोरोना के बावजूद यहां गुलमर्ग से लेकर पटनीटॉप तक होटलों में जगह नहीं मिल रही है. कश्मीर बदल रहा है.


मनोज सिन्हा ने कहा कि हम लगातार कोशिश कर रहे हैं कि निवेशक यहां आएं. ये अफ़वाह फैलाई जा रही है कि कश्मीर बिक जायेगा, वही यहां एग्रीकल्चर लैंड ले पाएगा जो कृषि का काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि विदेशों से भी लोग यहां उद्योग लगाने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं.


उपराज्यपाल ने सवालिया लहजे में कहा कि कश्मीर के सामान्य आदमी ने कौन सा अपराध किया है कि बड़े लोगों के बच्चे बीमार पड़े तो विदेश जाएं, वे पढ़ने के लिए बाहर जाएं लेकिन आम कश्मीरी सब सहता रहता है, ऐसा क्यों? उन्होंने कहा, “मैं मानता हूं कि यहां के युवाओं को अवसर कम मिले. यहां सुरक्षा एजेंसियों में बेहतर तालमेल हैं. अब घुसपैठ कम हो रहा है. आतंकवादी घटनायें कम हो रही हैं. सरकारी नौकरियों के अलावा अवसर कम थे. बिहार में जितने सरकारी कर्मचारी हैं, इतने ही हमारे यहां हैं. हम रोज़गार देने की कोशिश कर रहे हैं.”


मनोज सिन्हा ने कहा, “मैं सौभाग्यशाली हूं कि कश्मीर का इंटीग्रेशन हो गया. मोटे तौर पर तीन तिहाई सेब यहां होता है. केसर होता है. अमूल डेयरी यहां आ गई है. खेल पर हम स्पेशल ध्यान दे रहे हैं. स्टेडियम बना रहे हैं. सुरेश रैना के साथ एकेडमी बनाई है.”


इसके अलावा उन्होंने कहा कि इंशाअल्लाह हम कश्मीरी पंडितों को फिर से बसायेंगे. छह हज़ार घर और छह हज़ार नौकरियां देंगे. हम घाटी के कई ऐसे लोगों से मिले हैं जिन्हें अफ़सोस है कि आख़िर कई कश्मीरी पंडित चले गए, जिनकी करोड़ों की ज़मीन उस दौरान सस्ते में ले ली गई. ऐसे कश्मीरी पंडितों के लिए स्पेशल कोर्ट बनाये जायेंगे.


उपराज्यपाल ने कहा, “चुनाव में कौन जीते कौन हारे ये मेरा मतलब नहीं है. जो चुने हुए प्रतिनिधि हैं वो तय करेंगे कि कौन उनका अध्यक्ष होगा. यहां के प्रशासन का इस सब से कोई लेना देना नहीं है.”


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