Jammu And Kashmir: जम्मू-कश्मीर में स्थानीय आतंकियों ने बढ़ाई चिंता, जानें कितने पाकिस्तानी हैं सक्रिय?
कश्मीर घाटी (Jammu Kashmir) की सुरक्षा में तैनात सीआरपीएफ (CRPF) के मुताबिक, 150 आतंकियों में से कम से कम 85 आतंकी विदेशी मूल के हैं यानि पाकिस्तानी हैं और बाकी 70 के आस-पास स्थानीय आतंकी हैं.
Jammu Kashmir: कश्मीर घाटी में पिछले कुछ सालों में आतंकियों की संख्या में बड़ी गिरावट सामने आई है लेकिन स्थानीय आतंकियों का अनुपात लगातार बढ़ने से सुरक्षाबलों की परेशानियों बढ़ गई है. सेना के मुताबिक, इस वक्त आतंकियों की संख्या महज 150 रह गई है लेकिन इनमें से कम से कम 60 प्रतिशत आतंकी कश्मीरी मूल के स्थानीय आतंकी हैं.
कश्मीर घाटी की सुरक्षा में तैनात सीआरपीएफ (CRPF) के मुताबिक, 150 आतंकियों में से कम से कम 85 आतंकी विदेशी मूल के हैं यानि पाकिस्तानी हैं और बाकी 70 के आस-पास स्थानीय आतंकी हैं. सीआरपीएफ के मुताबिक, सुरक्षा के लिहाज से मुश्किल ये है कि पिछले दो-तीन साल में स्थानीय आतंकियों का अनुपात विदेशी (पाकिस्तानी) आतंकियों से कहीं ज्यादा बढ़ गया है. जहां पहले विदेशी आतंकियों का अनुपात 70 प्रतिशत था और स्थानीय आतंकियों का महज 30 प्रतिशत वहीं पिछले दो-तीन सालों में यह अनुपात बढ़कर 40:60 हो गया है.
कितनी है स्थानीय आतंकियों की संख्या ?
सुरक्षाबलों की मानें तो पिछले कुछ सालों में घाटी में मारे गए आतंकियों में स्थानीय आतंकियों की संख्या ज्यादा है. इस साल यानी 1 जनवरी 2022 तक अलग-अलग एनकाउंटर में 71 आतंकियों को ढेर किया गया. इनमें से महज 19 विदेशी आतंकी थे जबकि बाकी 52 कश्मीरी मूल के स्थानीय आतंकी थे.
सीआरपीएफ के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि पिछले कुछ सालों का ट्रेंड देखें तो पता चलता है कि स्थानीय आतंकियों की रिक्रूटमेंट भी लगातार जारी है. वर्ष 2018 में जहां 187 स्थानीय लड़ाके अलग-अलग ग्रुप में भर्ती हुए तो 2019 में ये संख्या गिरकर 121 रह गई. अगले ही साल यानी 2020 में ये संख्या फिर से 181 पहुंच गई. 2021 में 142 स्थानीय युवक लश्कर, हिजबुल मुजाहिदीन और जैश ए मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों में शामिल हुए. इस साल अब तक 28 युवक आतंकी तंजीमो में शामिल हो चुके है.
क्या कर रही है भारतीय सेना की श्रीनगर स्थित चिनार कोर ?
स्थानीय युवाओं की आतंकी तंजीमो में रिक्रूटमेंट को देखते हुए ही भारतीय सेना की श्रीनगर स्थित चिनार कोर ने सही रास्ता नाम से एक कार्यक्रम शुरू किया. इस कार्यक्रम के तहत भटके हुए नौजवानों को मुख्यधारा में शामिल करने पर जोर दिया जाता है. इसके लिए सेना इन युवाओं के परिवार वालों और रिश्तेदारों की मदद लेती है.
स्थानीय युवाओं की रिक्रूटमेंट भी खासतौर से दक्षिण कश्मीर में ज्यादा होती है. ये भी सुरक्षाबलों के लिए परेशानी का सबब है. अगले महीने से अमरनाथ यात्रा शुरू होने की संभावना है लेकिन उससे पहले ही अमरनाथ यात्रा के रूट के करीब आतंकियों की सरगर्मी बढ़ने की खबर है.
पिछले हफ्ते ही अनंतनाग के बेरीनाग के करीब जंगल में छिपे तीन आतंकियों को सेना ने सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस की मदद से मिलकर ढेर किया था. ये जगह पहलगाम के बेहद करीब है जहां से हर साल अमरनाथ यात्रा शुरू होती है.
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