जम्मू-कश्मीर: सैफुद्दीन सोज की नजरबंदी को लेकर सरकार के जवाब पर भड़के उमर अब्दुल्ला, ट्विटर पर रोहित कंसल को घेरा
सैफुद्दीन सोज ने कहा कि सरकार ने ‘झूठ’ का रास्ता अख्तियार किया जबकि उसने मुझे पांच अगस्त, 2019 से गैर कानूनी तरीके से बंदी बना लिया था.
श्रीनगर: जम्मू कश्मीर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सैफुद्दीन सोज कहीं आने जाने के लिए फ्री हैं. लेकिन सैफुद्दीन का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वे अपने घर अंदर बंद हैं और कह रहे हैं पुलिस वाले बाहर नहीं जानें दे रहे, सरकार झूठ बोल रही है. इसी पर जम्मू कश्मीर के अधिकारी रोहित कंसल को उमर अब्दुल्ला ने ट्विटर पर घेरा है.
दरअसल, रोहत कंसल ने ट्वीट किया, “पूर्व सांसद और पूर्व मंत्री सैफुद्दीन सोज गिरफ्तारी या नजरबंदी के तहत नहीं हैं. वह दो बार- अक्टूबर और दिसंबर में दिल्ली गए थे. सामान्य सुरक्षा ड्रिल के साथ वह जहां भी जाना चाहता हैं, वहां जाने के लिए स्वतंत्र हैं. माननीय SC में झूठ बोलने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता.”
I’m sorry Rohit but it’s better to let the official twitter handles put out the propaganda. I’ve worked closely with you & it’s disappointing to see your handle put out this tweet. Soz sb traveled for medical reasons & was detained at home as soon as he returned. https://t.co/GnnZDumsMf
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) July 30, 2020
इसका जवाब देते हुए उमर अबदुल्ला ने कहा, “मुझे माफ कीजिएगा रोहित, लेकिन ऑफिशियल ट्विटर हैंडल को प्रचार के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. मैंने आपके साथ काम किया है और आपके यह ट्वीट निराशाजनक है. सोज साहब ने मेडिकल कारणों से यात्रा की और घर लौटते ही उन्हें हिरासत में ले लिया गया.”
एक दूसरे ट्वीट में उमर अबदुल्ला ने आगे कहा, “वो सुरक्षा ड्रिल क्या है? क्या आप विस्तार से बताएंगे? क्या उन्हें हर बार घर से बाहर निकलने के लिए अनुमति लेनी होगी? मेरे सहयोगी को दिल्ली चेक-अप के लिए जाना था, उन्हें 72 घंटों से ज्यादा समय तक इजाजक के लिए इंतजार करना पड़ा.”
सैफुद्दीन सोज ने कहा- सरकार पर करुंगा मुकदमा सैफुद्दीन सोज ने बृहस्पतिवार को कहा कि पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर (पूर्व राज्य) के विशेष दर्जे को समाप्त किये जाने के बाद से ‘उन्हें अवैध रूप से नजरबंद’ रखने को लेकर वह सरकार पर मुकदमा करेंगे. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में केंद्र के इस जवाब को ‘झूठ’ बताया कि वह नजरबंद नहीं हैं.
सोज ने कहा, ‘‘मैं सुप्रीम कोर्ट में सरकार द्वारा अपनाये गये इस रुख पर कड़ा ऐतराज करता हूं कि पांच अगस्त, 2019 से मुझे नजरबंद नहीं किया गया था और न ही मुझ पर पाबंदियां लगायी गयी थीं.’’
सोज ने कहा, ‘‘ इस दौरान मुझे अपने परिसर से बाहर नहीं जाने दिया गया. मैं दो बार परिसर से बाहर गया जब मुझे 17 सितंबर-21 सितंबर 2019 के बीच अपनी बीमार बहन को देखने दिल्ली जाना पड़ा, और 15 दिसंबर-21 दिसंबर , 2019 के बीच मुझे चिकित्सकीय सलाह के लिए बाहर जाना पड़ा. पांच अगस्त, 2019 के बाद मैं जब भी बाहर गया तो मुझे सरकार से इजाजत लेनी पड़ी.’’
पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘ पांच अगस्त, 2019 से मुझे गैर कानूनी से नजरबंद रखने के लिए मैंने सरकार पर मुकदमा करने का निर्णय लिया है. संविधान के तहत मैं जिन नागरिक अधिकारों का हकदार हूं, उन्हें निलंबित रखने और मुझे बंदी बनाने को लेकर मैं क्षतिपूर्ति की मांग करते हुए सरकार पर के खिलाफ मुकदमा दायर करूंगा.’’
सुप्रीम कोर्ट में जम्मू कश्मीर प्रशासन ने कहा- सोज को कभी नजरबंद नहीं किया गया सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में जम्मू कश्मीर प्रशासन ने कहा था कि सोज को ‘‘कभी नजरबंद नहीं किया गया था’’ और ‘‘सुरक्षा मंजूरी मिलने के बाद उनकी आवाजाही पर कोई पाबंदी नहीं थी.’’ सोज की पत्नी की याचिका के जवाब में सरकार ने यह हलफनामा दिया. उनकी पत्नी ने याचिका में सोज को ‘अवैध हिरासत’ से रिहा करने और अदालत के सामने उन्हें पेश करने की मांग की है.
बता दें कि पिछले साल अगस्त में केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेश (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांटने का फैसला लिया था. इस दौरान तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों फारुख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती समेत कई नेताओं को एहतियात के तौर पर नजरबंद कर दिया गया था. फारूक और उमर अब्दुल्ला समेत कई नेताओं को अब रिहा कर दिया गया है, जबकि कुछ नेता अभी भी नजरबंद हैं.
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