श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर पुलिस ने शुक्रवार को दावा किया कि पुलवामा जिले के त्राल क्षेत्र में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों की अब कोई मौजूदगी नहीं है. 1989 में घाटी में आतंकवाद के फैलने के बाद ऐसा पहली बार हुआ है. दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में त्राल के चेवा उलार इलाके में सुरक्षा बलों के साथ रात भर हुई मुठभेड़ में तीन आतंकवादियों के मारे जाने के बाद पुलिस ने यह दावा किया है.
कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) विजय कुमार ने कश्मीर क्षेत्र पुलिस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर एक ट्वीट में कहा, ‘‘आज के सफल अभियान के बाद, त्राल क्षेत्र में अब हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों की मौजूदगी नहीं है. यह 1989 के बाद पहली बार हुआ है.’’
कश्मीर में आतंकवाद फैलने के बाद यहां हिजबुल मुजाहिदीन का दबदबा था. घाटी में इसके कई हजार कैडर थे. बुरहान वानी और जाकिर मूसा समेत संगठन के कई शीर्ष कमांडर त्राल क्षेत्र से थे.
अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर 2014 से घुसपैठ की 146 कोशिशें हुईं
अंतर्राष्ट्रीय सीमा (आईबी) पर 2014 से 15 जून, 2020 के बीच कुल 146 घुसपैठ की कोशिशें हुईं. इन सभी प्रयासों को विफल कर दिया गया और पाकिस्तान से भारतीय क्षेत्र में घुसने की कोशिश करते हुए 25 आतंकवादियों के मंसूबों को भी नाकाम कर दिया गया. घुसपैठ की ये सभी कोशिशें जम्मू-कश्मीर, पंजाब और राजस्थान के साथ लगती सीमाओं पर हुईं. जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ के मामलों की अधिकतम और राजस्थान में न्यूनतम संख्या दर्ज की गई है.
लगभग साढ़े छह साल (एक जनवरी, 2014 से 15 ,जून 2020 के बीच) की अवधि में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने 12 आतंकवादियों को भी पकड़ा है, जिन्हें नियंत्रण रेखा (एलओसी) और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में लॉन्च पैड के माध्यम से भारतीय क्षेत्र में भेजा गया था. जम्मू-कश्मीर और देश के अन्य हिस्सों में हिंसा को बढ़ाने के उद्देश्य से इन आतंकवादियों को सीमा पार कराने की कोशिश की गई थी.
बीएसएफ भारत और पाकिस्तान के बीच 3,323 किलोमीटर सीमा के माध्यम से घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम करने के लिए जिम्मेदार नोडल सुरक्षा बल है. दोनों देशों के बीच सीमाओं के माध्यम से किसी भी घुसपैठ के प्रयास को नाकाम करने के अलावा पाकिस्तान की ओर से सीमा के माध्यम से की जाने वाली तस्करी और अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए 2.5 लाख कर्मियों वाले मजबूत केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) या अर्धसैनिक बल के जवान सीमा पर तैनात रहते हैं.
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