श्रीनगर: कश्मीर घाटी में तनाव को देखते हुए आज सभी स्कूल-कॉलेज को बंद रखने का आदेश दिया गया है. घाटी में इंटरनेट और मोबाइल सेवा को भी बंद कर दिया गया है. अलगाववादियों ने कल की तरह आज भी घाटी में विरोध-प्रदर्शन का एलान किया है. सोमवार को वहां पर भड़की हिंसा में 200 से ज्यादा छात्र घायल हुए हैं. हालात को देखते हुए जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अबदुल्ला ने घाटी में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है.
घाटी को फिर से भड़काने की कोशिशें शुरू हो गयी हैं. इस बार छात्रों को भड़का कर सुरक्षाबलों के खिलाफ पत्थरबाज़ी करायी जा रही है और आतंकी संगठन आईएस के झंडे दिखाए जा रहे हैं.
श्रीनगर के श्रीप्रताप कॉलेज में छात्रों ने पथराव किया. इस दौरान पुलिस ने यहां आंसू गैस के गोले भी छोड़े. श्रीनगर में हुए विरोध प्रदर्शन में छात्राएं भी शामिल थीं. इतना ही नहीं श्रीनगर के गांदरबल में पत्थर फेंक रहे स्कूली छात्रों पर काबू पाने के लिए जवानों को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े.
अब सवाल ये है कि कश्मीर घाटी में पत्थरबाज़ी और हिंसा बार-बार क्यों भड़कती है. सीआरपीएफ के आईजी ऑपरेशंस जुल्फिकार हसन के मुताबिक इसके पीछे आतंकियों और उनके समर्थकों का हाथ है. जुल्फिकार हसन ने कहा, ‘’कुछ जगहों पर आतंकियों और उनके अंडरग्राउंड समर्थकों का दबाव लोगों पर होता है और जब भी हम ऑपरेशन करने जाते हैं तब वो लोगों पर पथराव करने के लिए दबाव डालते हैं. इससे हमारे ऑपरेशंस पर काफी खराब असर पड़ता है.’’
कश्मीर की मौजूदा स्थिति पर आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से मुलाकात कर हालात की जानकारी दी है. इसके अलावा आईबी ने एक बेहद गंभीर अलर्ट जारी किया है, जिसके मुताबिक पाकिस्तानी हैंडलर्स ने पत्थरबाज़ों को कहा है कि वो सुरक्षाबलों पर पेट्रोल बमों से हमला करें.
सुरक्षा एजेंसियों की पेट्रोल बम से हमले की साजिश पर नकेल कसने के लिए नई रणनीति बनाने पर ज़ोर है ऐसे व्हाट्सएप ग्रुप पर नजर रखने को कहा गया है जो पत्थरबाजों को पत्थरबाजी के लिए उकसा रहे हैं हैं. कुछ ऐसे पत्थरबाजों की पहचान की जा रही है जो सुरक्षाबलों पर होने वाले हमले के कई वारदातों में शामिल रहे हैं.
घाटी में घमासान की ताज़ा शुरूआत 12 अप्रैल को हुई, जब पुलवामा डिग्री कॉलेज के बाहर नाका लगाने पर छात्रों और सुरक्षाबलों के बीच विवाद हुआ. छात्रों ने सुरक्षाबलों और उनकी गाड़ियों पर पत्थर फेंके. 15 अप्रैल को विवाद ज्यादा बढ़ा तो सुरक्षाबलों ने पत्थरबाज़ों पर लाठीचार्ज किया, जिसमें करीब 55 छात्र ज़ख्मी हुए. इसी के विरोध में छात्रों ने पूरे कश्मीर में विरोध प्रदर्शन का फैसला किया था.